आनंद मोहन की रिहाई में 'MY' समीकरण का क्या है कनेक्शन, बिहार के सियासी गलियारों में कई चर्चाएं
पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 27 बंदियों की रिहाई का आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है। आनंद मोहन के लिए नीतीश सरकार ने जेल नियम में ही संशोधन कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि रिहा होने वाले 27 कैदियों में 13 माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के हैं।

पटना, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार ने सोमवार को जेल नियम में संशोधन करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 27 बंदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है। आनंद मोहन को अनुसूचित जाति से आने वाले आइएएस जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा मिली थी। बिहार में यह रिहाई आदेश कई कारणों से चर्चा का विषय बना हुआ है।
इसे संयोग भी कहा जा सकता है और सरकार पर राजद के प्रभाव का परिणाम भी कि रिहा होने वाले 27 कैदियों में 13 माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के हैं। पांच अनुसूचित जाति के हैं। गैर यादव पिछड़ों की संख्या चार है। तीन अनुसूचित जाति के हैं।
मुस्लिम समुदाय से आने वाले रिहा हुए कैदियों में दस्तगीर खान, अल्लाउद्दीन अंसारी, मो. हलीम अंसारी, अख्तर अंसारी और मो. खुदबुद्दीन शामिल हैं। वहीं, आठ कैदी यादव बिरादरी के हैं। इनमें अशाोक यादव, शिवजी यादव, किरथ यादव, राजबल्लभ यादव ऊर्फ बिजली यादव, किशुनदेव राय, पतिराम राय, चंद्रेश्वरी यादव और खेलावन यादव हैं।
अनुसूचित जाति से रामाधार राम, पंचा ऊर्फ पंचानंद पासवान एवं कलक्टर पासवान ऊर्फ धुरफेकन ताल्लुक रखते हैं। वहीं, देवनंदन नोनिया, मनोज प्रसाद, सिकंदर महतो और अवधेश मंडल गैर यादव पिछड़ी जाति के हैं।
अनुसूचित जाति के नेता भी रिहाई के पक्ष में
बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील की कि वे आनंद मोहन की रिहाई के निर्णय को रद कर दें। क्योंकि उन्हें अनुसूचित जाति के एक आइएएस अधिकारी की हत्या के मामले में सजा हुई थी। दूसरी तरफ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कह रहे हैं कि आनंद मोहन निर्दोष हैं। उनकी रिहाई उचित है।
अनुसूचित जाति से ही आने वाले राज्य सरकार के भवन निर्माण मंत्री डा. अशोक चौधरी को भी आनंद मोहन की रिहाई से नाराजगी नहीं है। वह सोमवार को पटना के सटे संपतचक में आयोजित आनंद मोहन के विधायक पुत्र चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल हुए। आनंद मोहन से गले मिलकर उन्हें बेटे की सगाई और अपनी रिहाई के लिए बधाई दी।
अशोक महतो की रिहाई की उठी मांग
जदयू के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता ने आनंनद मोहन और दूसरे कैदियों की रिहाई का विरोध तो नहीं किया, लेकिन आजन्म कारावास की सजा भुगत रहे एक अन्य अपराधी अशोक महतो की रिहाई की मांग की है। अशोक महतो को पूर्व कांग्रेसी सांसद राजो सिंह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसमें वह बरी हो गया। लेकिन, नवादा जेल ब्रेक एवं दूसरे मामलों में उसे आजन्म कारावास की सजा दी गई है। वह भागलपुर जेल में बंद है। महतो पिछड़ी जाति के हैं।
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