Muharram 2021: गम का त्योहार है मुहर्रम, जानिए इतिहास व बिहार में इसके लिए जारी कोरोना गाइडलाइन
Muharram 2021 बिहार में कोरोनावायरस संक्रमण रोकने की गाइडलाइन के तहत मुहर्रम सादगी के साथ घरों में मनाया जा रहा है। सार्वजनिक ताजिया जुलूस पर प्रतिबंध लगा है। क्यों मनाया जाता है मुहर्रम और क्या है इसका इतिहास जानिए इस खबर में।

पटना, आनलाइन डेस्क। Muharram 2021: History and significance, Guideline इस्लाम (Islam) धर्म का महत्वपूर्ण पर्व मुहर्रम (Muharram) इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के पहले महीने मुहर्रम की 10वें दिन मनाया जाता है। इस दिन को 'आशूरा' (Aahura) कहा जाता है। यह गम का त्योहार (Festival of Gloom) है। इस खबर में यहां हम बता रहे हैं मुहर्रम का इतिहास और इस साल बिहार में कोरोनावायरस से बचाव की गाइडलाइन (COVID-19 Guideline) के तहत कैसे मनाया जा रहा है यह पर्व।
मुहर्रम दुख का त्योहार, लोग मनाते मातम
मुहर्रम दुख का त्योहार होता है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की इराक के कर्बला (Karbala) के मैदान में शहादत को याद करते हुए मातम मनाया जाता है। इस्लाम की मान्यता के अनुसार इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन 680 ईस्वी में मुहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। उन्होंने यज़ीद की सेना का अंत तक सामना किया था। कबर्ला के उस युद्ध की याद में उसी समय से मुहर्रम मनाया जाता है। इसमें ताजिया जुलूस निकाल कर मातम मनाया जाता है। ताजिया हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों के प्रतिरूप होते हैं।
कोरोना गाइडलाइन के तहत लगे कई प्रतिबंध
बिहार में इस साल आज सादगी से मुहर्रम मनाया जा रहा है। कोरोनावायरस संक्रमण (CoronaVirus Infection) से बचाव की गाइडलाइन (COVID-19 Guideline) के तहत सरकार ने ताजिया जुलूस (Tazia Procession) व सड़कों पर भीड़ लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सार्वजनिक रूप से ताजिया और अलम स्थापित करने पर रोक लगा दी गई है। इन्हें घरों में स्थापित करने पर रोक नहीं है। बिहार के डीजीपी एसके सिंघल के अनुसार मुहर्रम के अवसर पर कोरोना गाइडलाइन के पालन को लेकर धार्मिक स्थलों सहित जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती (Deployment of Police Force) की गई है।
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