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    इस गांव में सात समंदर पार से आते पैसे, ऐसे बदली यहां की तस्‍वीर, जानिए

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Wed, 05 Jul 2017 10:45 PM (IST)

    बिहार के एक गांव में कल तक खाने के लाले थे, लेकिन आज आलीशान घरों के सामने महंगी गाडि़यां खड़ी दिखती हैं। करीब डेढ़ दशक में आई यह समृद्धि खाड़ी देशों में रोजगार की देन है। जानिए...

    इस गांव में सात समंदर पार से आते पैसे, ऐसे बदली यहां की तस्‍वीर, जानिए

    बक्सर [जेएनएन]। बिहार में एक गांव ऐसा भी है, जहां के हर घर के एक-दो सदस्‍य विदेश में हैं। रोजगार की तलाश में सात समंदर पार गए इन लोगों की बदौलत गांव की तस्‍वीर ही बदल गई है। आलीशान घरों व गाडि़यों से झांकती यह समृद्धि बीते डेढ़ दशक के अंदर आई है। यह बक्‍सर का अमथुंआ गांव है।

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    बदल गए गरीबी के हालात

    करीब चार दशक पहले गांव के सैकड़ों लोग इलाके के दूसरे गांवों में जाकर मजदूरी करते थे। मजदूरी मिली तो घरों में चूल्‍हें जलते थे। लेकिन, अब हालात बदल गए हैं। अमथुंआ गांव में जहां तीन-चार दशक पूर्व गिने-चुने पक्के मकान थे, वहां अब हर तरफ पक्के और आलीशान मकान दिखते हैं। घरों के बाहर गाडि़यां नजर आती हैं।

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    ऐसे जुड़ीं कडि़यां और पहुंचे विदेश

    गांव के सोनेलाल महतो ने बताया कि डेढ़ दशक पहले तक गांव के ज्यादातर लोगों की जिंदगी तंगहाली में जैसे-जैसे कट रही थी। इसी दौरान गांव के कुछ लोग निर्माण क्षेत्र में काम करने के लिए मुंबई गए। कुछ दिनों बाद उन लोगों को खाड़ी देश सउदी अरब जाने का मौका मिला। गांव के लोगों ने वहां अपनी कार्यकुशलता से नियोक्ता का दिल जीत लिया और वहां से और कामगारो की डिमांड हुई। इसके बाद कडि़यां जुड़ती गईं और खाड़ी देशों में जाने का रास्ता खुलता गया।

    ...और आई समृद्धि

    आज हालत यह है कि तकरीबन चार हजार आबादी वाले इस गांव के हर घर के एक-दो सदस्य खाड़ी देशों में मेहनत मजदूरी करते हैं। उनके भेजे करोड़ों रुपये गांव से जुड़े डाकघर के माध्‍यम से  हर साल आते हैं। ग्रामीण गया महतो कहते हैं कि समंदर पार से आने वाले इन रुपयों ने कभी फटेहाल रहे इस गांव की तस्‍वीर बदल दी है।
    गांव के अनूप कुमार बताते हैं कि विदेशों से विदेशों से कमा कर लौटने वालों की प्राथमिकता घर बनाने की होती है, इसलिए हमेशा मकान बनते रहते हैं।

    गांव की इंदु देवी बताती हैं कि उनके पति खाड़ी देश में 10 साल तक नौकरी करने के बाद यहां आए। वे अब यहीं कारोबार करते हैं। परिवार खुशहाल है। पन्‍ना देवी भी अपने बेटे की कमाई से खुश हैं। कहती हैं कि उसने दो छोटे भाइयों को भी पढ़ा-लिखा दिया। वे भी रेलवे में नौकरी करते हैं।

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    दूसरे गांवो के लोग भी हुए प्रभावित
    गांव में आई खुशहाली से इलाके के दर्जनों गांव भी प्रभावित हुए। आज हालत यह है कि आसपास के करीब 50 गांवों के सैकड़ों लोग भी खाड़ी देशों में नौकरी कर रहे हैं।

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