Updated: Wed, 11 Jun 2025 08:39 AM (IST)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत दो दिन के लिए पटना पहुंचे। उन्होंने केशव सरस्वती विद्या मंदिर में कार्यकर्ता विकास वर्ग को संबोधित किया। भागवत ने राष्ट्र और राजनीति के आपसी संबंधों पर प्रकाश डाला और राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में ही व्यक्तिगत हित निहित है। वे प्रशिक्षण वर्ग का निरीक्षण करेंगे और संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठकें करेंगे।
राज्य ब्यूरो, पटना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत बिहार के दो दिवसीय प्रवास पर मंगलवार को पटना पहुंचे।
पटना आगमन के बाद संघ प्रमुख सीधे मरचा-मिरची स्थित केशव सरस्वती विद्या मंदिर चले गए। वहां कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम (विशेष वर्ग) के बौद्धिक सत्र में हुआ उद्बोधन अतिशय उत्प्रेरक रहा।
राष्ट्र और राजनीति के अंतर्संबंधों की व्याख्या के साथ उन्होंने समष्टि और व्यष्टि की अवधारणा को भी सरल तरीके से स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र-हित में ही निज-हित भी समाहित है। समष्टि और व्यष्टि का यह सुंदर-सुघड़ स्वरूप है। राष्ट्र और राजनीति के संदर्भ में इसी स्वरूप की अपेक्षा है।
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संघ के कार्यकर्ताओं के लक्ष्य में प्रथमत: राष्ट्र और मातृभूमि है। उल्लेखनीय है कि विद्या मंदिर के परिसर में ही संघ प्रमुख रात्रि विश्राम करेंगे। बुधवार शाम में वे पटना से अगले गंतव्य के लिए प्रस्थान करेंगे।
दिन में उद्बोधन के बाद विश्राम के दौरान भी संघ के पदाधिकारियों से भागवत विचार-विमर्श करते रहे। वे प्रशिक्षण वर्ग का निरीक्षण बुधवार को भी करेंगे। उनका उद्बोधन भी होगा। ज्ञात हो कि यह प्रशिक्षण वर्ग 24 मई से चल रहा है, जिसका समापन 13 जून को होगा।
प्रशिक्षण वर्ग में संघ के तीन प्रांतों (उत्तर बिहार, दक्षिण बिहार और झारखंड) के 68 प्रतिभागी भाग ले रहे। संघ की व्यवस्था के अनुसार, विशेष वर्ग के प्रशिक्षण के लिए प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण पूरा करने के अलावा न्यूनतम 40 वर्ष आयु की अर्हता है। संघ में प्रशिक्षण का यह मध्यम सोपान है।
अंतिम प्रशिक्षण कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय (विशेष वर्ग) के रूप में नागपुर में होता है। मार्च में हुआ था पांच दिवसीय प्रवास : इससे पहले बिहार में भागवत का पांच दिवसीय प्रवास मार्च में हुआ था। पांच मार्च को उन्होंने सुपौल में सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन का उद्घाटन किया था। उसी शाम वे मुजफ्फरपुर चले आए थे।
वहां उनका प्रवास नौ मार्च तक हुआ। उस दौरान वे संघ के पदाधिकारियों के साथ कई बैठकें कर कार्यक्रमों की प्रगति का आकलन और भविष्य की गतिविधियों पर विचार-विमर्श किए थे।
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