पटना के मोहम्मद युनूस बने थे प्रधानमंत्री, कांग्रेस के कारण बिहार के इतिहास में जुड़ा था ये अध्याय
Bihar Diwas बिहार का पृथक प्रशासनिक इकाई के तौर पर सफर 1912 से शुरू हुआ। इस क्रम में बिहार ने कई अहम पड़ाव देखे। इसी में एक और बेहद अहम है मोहम्मद युनूस का प्रधानमंत्री बनना। जानिए पूरी कहानी...

पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Diwas 2022: बिहार के लिए 22 मार्च 1912 का दिन बेहद खास है। ब्रिटिश राज में पहली बार इसी दिन बिहार को बंगाल से अलग प्रांत के तौर पर अधिसूचित किया गया था। इस खास दिन को बिहार दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 22 मार्च 1912 से पृथक प्रशासनिक इकाई के तौर पर बिहार का सफर शुरू हुआ। ब्रिटिश राज के दौरान ही बिहार का राजनीतिक सफर भी शुरू हुआ। इसी क्रम में बिहार के मोहम्मद युनूस प्रधानमंत्री बने। वे पटना के रहने वाले थे। हालांकि, उनका प्रधानमंत्री वाला ओहदा, उस पद से अलग था, जिसपर बाद में पंडित जवाहर लाल नेहरू काबिज हुए और अब नरेंद्र मोदी सुशोभित हो रहे हैं।
प्रांतीय सरकार के प्रमुख को कहा जाता था प्रधानमंत्री
मोहम्मद युनूस बिहार के पहले प्रधानमंत्री थे। बिहार के राजनीतिक और प्रशासनिक सफर में यह एक अहम पड़ाव है। ब्रिटिश राज के दौरान भारतीयों में पनप रहे असंतोष को कम करने के लिए स्थानीय स्वशासन के लिए प्रांतीय चुनाव कराए गए। प्रांतीय सरकारों के मुखिया को ही तब प्रधानमंत्री कहा जाता था। यह बात 1937 की है। देश की आजादी के बाद जब 1950 में पहली बार विधानसभाओं के चुनाव कराए गए, तब तक प्रांतीय सरकार के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कहा जाता रहा।
आज के मुख्यमंत्री के समकक्ष था यह पद
1947 में देश की आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने। नेहरू जी भी बिहार की प्रांतीय सरकारों के साथ पत्राचार में प्रधानमंत्री संबोधन का ही जिक्र किया करते थे। ऐसे कई पत्राचार मिले हैं, जिनमें बिहार में प्रांतीय सरकार के प्रधान श्रीकृष्ण सिंह को नेहरूजी ने प्रधानमंत्री के तौर पर संबोधित किया है। इस पद को कई बार प्रीमियर कहकर भी संबोधित किया गया। यह मौजूदा मुख्यमंत्री के पद के समकक्ष था।
कांग्रेस के इनकार के बाद मिला था मौका
देश में पहली बार प्रांतीय चुनाव कराए गए तो बिहार सहित ज्यादातर हिस्सों में कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर पर उभरा। लेकिन प्रांतीय सरकार के कामकाज में गवर्नर की भूमिका पर कांग्रेस को एतराज था। इसी बिंदु पर विरोध जाहिर करते हुए कांग्रेस ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने दूसरे और तीसरे नंबर के दलों को मौका दिया। इसी क्रम में बिहार में मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी के मोहम्मद युनूस को बिहार में सरकार बनाने का मौका मिला। हालांकि उनका यह कार्यकाल बेहद संक्षिप्त रहा।
केवल 109 दिन ही रहे इस पद पर
मोहम्मद यूनुस ने एक अप्रैल 1937 को बिहार के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 19 जुलाई 1937 तक वे इस पद पर रहे। वे केवल 109 दिन ही इस पद पर रहे। इस बीच कांग्रेस और ब्रिटिश हुकूमत के बीच गतिरोध खत्म हो गया और बिहार में कांग्रेस के श्रीकृष्ण सिंह ने यह जिम्मेदारी संभाल ली। आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने 1935 में गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट पास किया था। इसी कानून के तहत भारत में प्रांतीय सरकारों के गठन के लिए चुनाव कराए गए ।
मसौढ़ी के एक गांव में हुआ था जन्म
मोहम्मद यूनुस का जन्म 4 मई 1884 को पटना के मसौढ़ी प्रखंड के पनहरा गांव में हुआ था। उनके पिता मौलवी अली हसन मुख्तार बड़े वकील थे। मोहम्मद यूनुस भी वकील ही बने। बाद में वे कांग्रेस से जुड़कर राजनीति में आए। 1937 के प्रांतीय चुनाव से ठीक पहले मोहम्मद यूनुस ने अपना राजनीतिक दल बना लिया। उनका निधन 13 मई 1952 को लंदन में हुआ।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।