बिहार में हटाई गई आदर्श आचार संहिता, अब तेजी से होंगे प्रशासनिक और विकास कार्य
आदर्श आचार संहिता हटने के बाद बिहार में विकास कार्यों को गति मिलेगी। चुनाव के दौरान रुकी हुई परियोजनाएं फिर से शुरू होंगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सरकार जनता को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का लक्ष्य रखती है।

जागरण संवाददाता, पटना। विधानसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद रविवार की रात 12 बजे से आदर्श आचार संहिता वापस ले ली गई है। इसके साथ ही राजधानी पटना व प्रदेश में प्रशासनिक व विकास संबंधी कार्य तेजी से पटरी पर लौटने लगे हैं। चुनाव के दौरान लागू कई प्रतिबंध अब हट चुके हैं।
इससे सरकार, विभागों व आमजन के दैनिक कामकाज में सुगमता आने लगी है। सबसे बड़ा असर विकास कार्यों पर दिखाई देगा। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि अब सभी कार्यालयों में सामान्य ढंग से कार्य संचालित होंगे। विकास कार्यों को तेजी से पूरा कराने के लिए उनकी समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।
निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके बाद सड़क, पुल, भवन निर्माण जैसे नए प्रोजेक्टों की घोषणाएं रोक दी जाती हैं। चुनाव अवधि में ट्रांसफर, पोस्टिंग, फंड जारी करने पर रोक लग जाती है।
आचार संहिता हटने के बाद अब सभी विभागीय गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित होंगी। अब इन कार्यों में गति आएगी और रुके प्रोजेक्टों की मंजूरी दोबारा शुरू हो सकेगी। बजट प्रविधानों व नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं भी की जा सकेंगी। मनरेगा, पंचायत, नगरीय निकाय जैसे विभाग जहां चुनाव के कारण सीमित काम हो रहा था अब फंड पास होने, भुगतान व मंजूरी की प्रक्रिया तेज़ होगी।
नकदी लेकर चलने पर अब नहीं होगी चुनाव जैसी सख्त जांच
चुनाव के दौरान उड़नदस्ता, स्टैटिक सर्विलांस टीम, आयकर टीमें बड़ी रकम देख कर तुरंत रोककर पूछताछ करती थीं। 50 हजार से अधिक की नकदी या कीमती सामान जांच के दायरे में आ जाते थे।
अब आमजन 2 लाख 50 हजार तक नकदी या इस कीमत का सामान साथ लेकर चल सकेंगे। हालांकि, अन्य कानून अब भी पहले जैसे ही रहेंगे। ढाई लाख से अधिक नकदी या कीमती सामान होने पर अधिकारी पूछताछ कर आयकर विभाग को सूचना दे सकते हैं।
अब भी अधिक नकदी लेकर चलने पर उसका स्रोत बताने वाले दस्तावेज साथ रखने जरूरी हैं। जांच में ढिलाई के साथ अब जब्ती की कार्रवाई तुरंत नहीं की जाएगी। इसी प्रकार चेक-पोस्ट नाका में सघन जांच नहीं होने से शराब, मादक पदार्थ की जब्ती कम हो जाएगी।
हालांकि, पुलिस व जीएसटी के पदाधिकारी जांच कार्य करते रहेंगे। अभी तक यह सभी कार्रवाई निर्वाचन आयोग के अधीन थीं। चुनाव के दौरान दीवारों या सार्वजनिक संपत्ति पर पोस्टर लगाने पर कड़ी निगरानी रहती थी।
अब निगरानी ढीली पड़ने से ऐसे मामलों में वृद्धि की आशंका है, जबकि सार्वजनिक संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम पहले की तरह लागू है। डीए ने कहा कि यदि संपत्ति विरूपण की शिकायत मिलती है तो अब भी कार्रवाई की जाएगी।

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