मंत्री संजय झा ने रोकी बिहार के हकमारी की कोशिश, बाढ़ नियंत्रण मुख्यालय का स्थानांतरण रुका
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष बिहार विरोधी हैं। चुपके से गंगा बाढ़ नियंत्रण मुख्यालय को लखनऊ शिफ्ट करने की तैयारी में थे। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आश्वस्त किया। बिहार के हित को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

पटना, राज्य ब्यूरो । बिहार के हस्तक्षेप के बाद गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के मुख्यालय को पटना से लखनऊ शिफ्ट करने के प्रस्ताव पर विराम लग गया है। बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा की आपत्ति के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आश्वस्त किया है कि वह बिहार के हित को प्रभावित नहीं होने देंगे। दैनिक जागरण में एक दिन पहले खबर छपी थी कि गंगा बेसिन वाले 11 राज्यों के पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण मुख्यालय को हटाने की तैयारी चल रही है।
संजय झा ने केंद्रीय मंत्री को बिहार में आयोग के मुख्यालय की जरूरत बताते हुए कहा कि गंगा बेसिन के 23 में से 13 से अधिक नदियों की विभीषिका बिहार को अकेले झेलना पड़ता है। 1971 में भीषण बाढ़ के बाद आयोग के मुख्यालय को बिहार में स्थापित किया गया था।
आयोग के अध्यक्ष को बिहार विरोधी बताया
संजय झा ने आयोग के अध्यक्ष मंजीत सिंह ढिल्लन को बिहार विरोधी बताया और कहा कि किसी को बताए बिना वह अकेले प्रस्ताव लेकर घूम रहे हैं। उन्हें जब से पटना भेजा गया है, तभी से वह बिहार के विरोध में काम कर रहे हैैं। संजय झा ने कहा कि गंगा बेसिन वाले राज्यों में बाढ़ से सबसे ज्यादा बिहार ही प्रभावित होता है। तभी इसका मुख्यालय पटना में खोला गया था। तबसे अभी तक कोई विवाद नहीं हुआ, लेकिन जबसे ढिल्लन आयोग के नए अध्यक्ष बनकर आए हैैं, तभी से आयोग को विवादित बनाए हुए हैैं। उनकी मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। बिहार के लिए यह आयोग शुरू से ही बाढ़ नियंत्रण तंत्र का अभिन्न अंग रहा है।
सुने तो हैरान रह गए शेखावत
संजय झा ने बताया कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को जब पूरे मामले की जानकारी दी गई तो वह भी हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि अभी तक उनके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है। मुख्यालय को हटाने का उनका इरादा भी नहीं है। संजय झा ने कहा कि बिहार की बाढ़ योजनाओं के प्रति आयोग के अध्यक्ष के लगातार नकारात्मक दृष्टिकोण रहे हैं। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि वह चुपके से इसकी तैयारी कर रहे हैं। किंतु हम किसी के ऐसे इरादों से बिहार के हितों को प्रभावित नहीं होने देंगे।
बिहार के लिए जरूरी यह मुख्यालय
गंगा की बाढ़ ने जितना बिहार को नुकसान किया है, उतना किसी दूसरे राज्य को नहीं। लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार 1953 से 2017 के बीच बाढ़ ने बिहार में 22.4 लाख हेक्टेयर भूमि को प्रभावित किया है। इससे 768.38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उक्त 64 वर्षों में, 831.45 करोड़ रुपये के 14 लाख घर नष्ट हो गए। दस हजार 105 जानवर और एक हजार 287 लोग काल के गाल में समा गए हैं। समय के साथ बाढ़ की प्रकृति, विविधता और विभीषिका अधिक गंभीर होती जा रही है। ऐसे समय में निगरानी तंत्र को कारगर बनाने तथा संबंधित एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की पहले से ज्यादा जरूरत है।

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