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Bihar Crime: पटना में पकड़ी गई मिनी गन फैक्ट्री, दो गिरफ्तार; ग्राहकों की तलाश में जुटी पुलिस

Bihar Crime फैक्ट्री से बनी पिस्टल 20-25 हजार रुपये में बेची जाती थी। कारीगरों को हथियार बनाने पर रुपये मिलते थे। जो जितनी पिस्टल या कट्टा बनाता उसे उस हिसाब से मजदूरी दी जाती थी। एसपी ने कहा कि गिरोह के सभी सदस्यों को पकड़ेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerPublished: Sat, 27 May 2023 05:17 AM (IST)Updated: Sat, 27 May 2023 05:17 AM (IST)
Bihar Crime: पटना में पकड़ी गई मिनी गन फैक्ट्री, दो गिरफ्तार; ग्राहकों की तलाश में जुटी पुलिस
गौरीचक में पकड़ी गई मिनी गन फैक्ट्री।

जागरण संवाददाता, पटना: गौरीचक थाने की पुलिस ने शुक्रवार को पियरिया गांव में घर के अंदर तहखाना बना कर चलाई जा रही मिनी गन फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है। मौके से दो कारीगर भी गिरफ्तार किए गए हैं। उनकी पहचान मो. चुन्ना और मो. अहसान के रूप में हुई है।

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मुंगेर के रहने वाले हैं आरोपी

दोनों मुंगेर जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मिर्जापुर बरदह के रहने वाले हैं। फैक्ट्री से पुलिस ने 13 हथियार बनाने के लिए आवश्यक पार्ट्स व आग्नेयास्त्र बनाने में प्रयुक्त लेथ मशीन, बेस मशीन, रेती, ब्लेड आदि जब्त किया है।

यह फैक्ट्री दीपक सिंह के मकान में चल रही थी, जिसे पुलिस ने एक महीने पहले आर्म्स एक्ट में जेल भेजा था। वह अब भी काराधीन है। वहीं, चुन्ना मुंगेर के मुफस्सिल थाना और अहसान पटना के अगमकुआं थाने से जेल जा चुका है। इसकी जानकारी ग्रामीण एसपी सह प्रभारी सिटी एसपी, पूर्वी सैयद इमरान मसूद ने दी।

ग्राहकों की पहचान में जुटी पुलिस

पुलिस को चुन्ना और अहसान के मोबाइल से कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। उससे हथियार खरीदने वाले ग्राहकों की पहचान की जा रही है। बताया जाता है कि यह फैक्ट्री कुछ महीने से चल रही थी।

आशंका है कि दीपक अपनी ही फैक्ट्री से बने हथियार को बेचने जा रहा था, जब गौरीचक थाने की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद भी उसने घर के अंदर तहखाना होने की जानकारी पुलिस को नहीं दी थी।

पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई की। हथियार बनाने के लिए कच्चा माल भी मुंगेर से लाया गया था। कच्चा माल देने वाले की पहचान के लिए मुंगेर पुलिस से समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

इस माल से अभी 13 हथियार बनाए जा सकते थे। इसका आर्डर किसने दिया था, इसके लिए पुलिस दीपक को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। पता लगाया जा रहा है कि हथियारों की खेप किसे पहुंचाई जानी थी।

हथियार के हिसाब से मिलते थे रुपये

एसपी ने बताया कि इस फैक्ट्री से बनी पिस्टल 20-25 हजार रुपये में बेची जाती थी। कारीगरों को हथियार बनाने पर रुपये मिलते थे। जो जितनी पिस्टल या कट्टा बनाता, उसे उस हिसाब से मजदूरी दी जाती थी। गिरफ्तार चुन्ना और अहसान पहले मुंगेर की अवैध फैक्ट्रियों में काम करते थे। पुलिस की दबिश बढ़ने पर वे गौरीचक में रहने लगे। एसपी ने कहा कि गिरोह के सभी सदस्यों की पहचान कर गिरफ्तारी सुनिश्चित कराई जाएगी।


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