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    Bihar Politics : बिहार की राजनीति में एकता के जोरदार दावों के बीच फैल रहा अंदरूनी टकराव का संदेश

    By Arun AsheshEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Tue, 17 Jan 2023 07:30 PM (IST)

    सारण में जहरीली शराब प्रकरण का मुद्दा ठंडा पड़ा नहीं कि विवाद के लिए श्रीरामचरितमानस की खुराक लेकर शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर आ गए। इसी बीच उन्होंने तेजस्वी बिहार की तान भी छेड़ी है। उन्हें जगदानंद का समर्थन मिला है।

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    बिहार की राजनीति में एकता के जोरदार दावों के बीच फैल रहा अंदरूनी टकराव का संदेश

    अरुण अशेष, पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों खास मोड में है। विपक्ष को घर बैठे मुद्दा मिल रहा है। एक ठंडा होने को रहता है, दूसरा आ जाता है। सारण जिला में जहरीली शराब से हुई मौतों ने विपक्ष को शराबबंदी के औचित्य का मुद्दा दे दिया था। बात मुआवजे की वैधानिकता पर आकर ठहरी।

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    यह विषय थोड़ा ठंडा हुआ तो शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर श्रीरामचरितमानस, मनुस्मृति और बंच आफ थाट्स की खुराक लेकर मैदान में आ गए। इस पर बहस चल ही रही थी कि उन्होंने तेजस्वी बिहार की तान छेड़ दी। महागठबंधन के सभी दल भले ही एकता के दावे जोर-शोर से कर रहे हों, लेकिन उनके बीच की कानाफूसी अंदरूनी टकराव का संदेश दे रही है।

    शिक्षा मंत्री की श्रीरामचरितमानस से जुड़ी टिप्पणी पर महागठबंधन के दलों में एक राय नहीं है। सबसे बड़े दल राजद में दो फाड़ है। प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद कह रहे हैं कि शिक्षा मंत्री की टिप्पणी में कोई गड़बड़ी नहीं है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी इसमें बड़ी गड़बड़ी नजर नहीं आती है।

    वे राय दे रहे हैं कि धार्मिक मुद्दों पर बोलने से बचना चाहिए। सभी धर्मों और दलों का सम्मान करते हैं। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी शिक्षा मंत्री की टिप्पणी को अनावश्यक मानते हैं। उन्होंने पार्टी से अपील की कि इस मामले में आधिकारिक रुख तय करे। भाकपा (माले) मोटे तौर शिक्षा मंत्री की टिप्पणी का समर्थन करता है।

    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि जिसने इस तरह का बयान दिया, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। जदयू ने कार्रवाई का विषय राजद के लिए छोड़ दिया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी सभी धर्मों और धर्म ग्रंथों का सम्मान करती है। मंत्री पर कार्रवाई के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह हमारे दल का मामला नहीं है।

    संदेश गलत जा रहा है...

    मजबूरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हो या उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की, उनके समर्थकों के बीच संदेश जा रहा है कि गठबंधन के दलों में बड़ी-बड़ी गांठें पड़ चुकी हैं। भाजपा को रोकने के अलावा उनके बीच की एकता का कोई सूत्र नहीं मिल रहा है। नया विवाद शिक्षा मंत्री के ताजा ट्वीट को लेकर है : शिक्षित बिहार, तेजस्वी बिहार। इसे जदयू के पुराने नारे (बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है) का जवाब माना जा रहा है।

    राजद की कतारों में इस बात को लेकर भारी नाराजगी है कि आइएएस, आइपीएस अफसरों के अलावा बिहार प्रशासनिक सेवा और बिहार पुलिस सेवा के अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन में तेजस्वी यादव की ओर से भेजी जाने वाली सूची को देखा तक नहीं जाता है। विभाग की समीक्षा बैठकों में राजद कोटे के कई मंत्रियों को बुलाया तक नहीं जाता है।

    राजद का तकनीकी संकट

    राजद का तकनीकी संकट यह है कि किसी एक विधायक को दल से निकालने जैसी कार्रवाई की हालत में विधानसभा में उसकी सदस्य संख्या भाजपा के बराबर हो जाएगी। सबसे बड़ा दल होने का उसका तमगा गुम हो जाएगा। दोनों 78-78 पर आ जाएंगे।

    विधायक सुधाकर सिंह पर कड़ी कार्रवाई की मांग पहले से हो रही है। इसमें शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का नाम भी जुड़ रहा है। दोनों पर कार्रवाई हो तो राजद की सदस्य संख्या भाजपा से कम हो जाएगी। राजद विधायक दल इस स्थिति को स्वीकार करने के मूड में नहीं है।