'हमें भी पढ़ाओ' गढ़ रहा स्लम के बच्चों का भविष्य
डॉ. कुमार अरुणोदय ने स्लम के बच्चों को सही राह पर लाने के लिए 'हमें भी पढ़ाओ' संस्था की नींव रखी।
जागरण संवाददाता, पटना। गरीब परिवारों से आने वाले बच्चे घर की जरूरतें पूरी करने के लिए अक्सर अपना बचपन भूलकर कम उम्र में ही पैसे कमाने की चिंता में जुट जाते हैं। ऐसे बच्चों का बचपन बचाने के लिए कई संवेदनशील लोग और संस्थाएं काम कर रही हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं डॉ. कुमार अरुणोदय। उन्होंने स्लम के बच्चों को सही राह पर लाने के लिए 'हमें भी पढ़ाओ' संस्था की नींव रखी। यह संस्था गरीब परिवारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर उनके भविष्य को संवार रही है।
वर्ष 2001 में हुई थी शुरुआत
'हमें भी पढ़ाओ' संस्था की शुरुआत 2001 में डॉ. कुमार अरुणोदय ने अपने पिता आचार्य सुदर्शन महाराज से प्रेरणा लेकर की थी। उनका मानना है कि स्लम के जो बच्चे मेहनत-मजदूरी करने के दौरान अपने बचपन और पढ़ाई से दूर हो जाते है, उन्हें उनके भविष्य के लिए जागरूक करने की जरूरत है। इसीलिए इस संस्था की शुरुआत की गई। पटना शहर में पांच जगह के साथ ही दूसरे कई जिलों में भी इनकी संस्था काम कर रही है। यहां 60 से 70 बच्चों को पढ़ाया जाता है।
लोग जुड़ते गए और बन गया कारवां
अरुणोदय बताते हैं कि इस संस्था की शुरुआत उन्होंने स्लम में रहने वाले बच्चों को देख कर की थी। वह कहते हैं कि पढ़ने का हक हर बच्चे का है। इसलिए इस संस्था की नींव रखी गई थी। 2001 में पहली शाखा चितकोहरा पुल के नीचे की स्लम बस्ती में खोली गई थी। इसमें शुरुआत 10 से 20 बच्चों के साथ हुई। कारवां बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए। फिलहाल शहर के करीब हर बड़े स्लम में इस संस्था की शाखाएं हैं।
सुबह और शाम में चलती हैं कक्षाएं
'हमें भी पढ़ाओ' संस्था रोज सुबह और शाम चार घंटे की क्लास चलाती है। इसमें बच्चों की सुविधाओं का भी ध्यान रखा जाता है। अगर कोई बच्चा कहीं काम कर रहा है तो उसकी आजीविका में कोई बाधा नहीं पहुंचे, इसके लिए बच्चों की सुविधा के अनुसार क्लास लगाई जाती है।
जागरण की पहल पर शुरू होंगी दो और शाखाएं
डॉ. कुमार अरुणोदय बताते हैं कि दैनिक जागरण की पहल 'माय सिटी माय प्राइड' से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपनी मुहिम को और विस्तार देने का फैसला किया है। संपतचक और कुरथोल में चलने वाली शाखा को प्राइमरी स्कूल में बदलना है, जिसमें बच्चों को लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल लैब और सारी बेसिक सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। हर प्राइमरी स्कूल में 200 बच्चों को रखा जाएगा और कक्षा एक से लेकर 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा। दरभंगा, समस्तीपुर, फतुहा, सीतामढ़ी के साथ ही बिहार के बाहर भी इस संस्था का विस्तार हो रहा है। इसके साथ ही नाथुपूरा गांव को पूरी तरह साक्षर करते हुए इस संस्था ने वहां भी अपनी एक शाखा खोली है।
पर्व-त्योहार पर बच्चों को देते हैं उपहार
डॉ. कुमार अरुणोदय बताते हैं कि इस संस्था में पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए किसी भी पर्व-त्योहार में तरह-तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करवाते हैं और उन्हें उपहार देकर आगे के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही समाज को ऐसे बच्चों के प्रति जागरूक करने के लिए भी ये संस्था काम करती है।