Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पटना के स्लम बस्तियों में लगती है 'ज्ञानशाला'

    ऋषिकेश ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर वर्ष 2014 में 'बिहार यूथ फोर्स' नामक संगठन बनाया और स्लम के बच्चों के बीच शिक्षा की लौ जलाने का बिगुल फूंक दिया।

    By Krishan KumarEdited By: Updated: Sat, 29 Sep 2018 12:13 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, पटना। जिस उम्र में युवा पढ़ाई और करियर को लेकर परेशान रहते हैं, उस उम्र में राजधानी के ऋषिकेश दूसरों की पढ़ाई का जिम्मा उठा रहे हैं। स्लम बस्तियों में रहने वाले नौनिहालों के लिए वह 'ज्ञानशाला' चला रहे हैं। विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाला ऋषिकेश नारायण का कद साधारण है लेकिन हौसला फौलादी। ऋषिकेश ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर वर्ष 2014 में 'बिहार यूथ फोर्स' नामक संगठन बनाया और स्लम के बच्चों के बीच शिक्षा की लौ जलाने का बिगुल फूंक दिया। आरंभ के दिनों में लोगों की ताने सुनने के बावजूद ऋषिकेश अपने जिद को और मजबूत बना आगे बढ़ते रहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुरुआत में ऋषिकेश ने स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के बीच पाठ्य-सामग्री बांटी लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक नहीं चला। फिर दोस्तों के साथ मिलकर अदालतगंज इलाके के स्लम एरिया में 'ज्ञानशाला' की नींव रखी और शिक्षा से मरहूम बच्चों के बीच शिक्षा की लौ जलाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा। इसके बाद शहर के कई अन्य इलाकों में भी ज्ञान शाला की शाखाएं खुलीं। इसका असर भी दिखने लगा। जो बच्चे कल तक कूड़ा बीनते या सड़कों पर मटरगश्ती करते थे वे अब नियमित स्कूल आने लगे।

    ऋषिकेश कहते हैं, शुरुआत में बहुत परेशानी हुई। पहले बच्चों के माता-पिता को पढ़ाने के लिए राजी करना पड़ा। वे मानें तो फिर बच्चों को स्कूल आने के लिए तैयार किया। इसके लिए खेल-खेल में पढ़ाने का सिद्धांत लागू किया। स्लम इलाके में ज्ञानशाला की शुरुआत हुई तो कुछ उपद्रवी लोगों ने सेंटर बंद करने की धमकी दी मगर काम चलता रहा। अब तो ज्ञानशाला के बच्चे पढ़ाई के लिए साथ खेल, पेंटिंग, कविता आदि क्षेत्रों में भी रुचि ले रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।