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    पटना में आम से बाजार लबालब, मालदह, जर्दालू व दशहरी का दाम देखें; असली-नकली की पहचान जानें

    Updated: Wed, 21 May 2025 09:21 PM (IST)

    आम पटना की हर गली मोहल्लों से लेकर मुख्य बाजार तक छाया हुआ है। झारखंड के साथ-साथ भागलपुर से मालदह दशहरी व जर्दालु आ रहा है। 60-80 रुपये किलो बिकने वाला मालदह अब थोक में 40-60 रुपये प्रति किलो में खरीदा जा रहा है। ग्राहकों को असली-नकली की पहचान करनी भी जरूरी है।

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    पटना के बाजार में पहुंचने लगा स्थानीय आम। जागरण आर्काइव।

    जागरण संवाददाता, पटना। उमस भरे मौसम में राहत देने के लिए आम की मिठास से बाजार लबालब है। फलों का राजा आम हर गली मोहल्लों से लेकर मुख्य बाजार तक छाया हुआ है। कुछ दिन पहले तक महाराष्ट्र, ओडिशा व पश्चिमी बंगाल से आयातित आम का बोलबाला था, इसमें अब स्थानीय रंग भी छाने लगा है।

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    झारखंड से भी राजधानी आ रहा आम

    अब झारखंड के साथ-साथ भागलपुर से मालदह, दशहरी व जर्दालु आ रहा है। बाजार में आवक बढ़ने के साथ ही थोक में इसके दर में कमी आई है। स्थिति यह है कि 60-80 रुपये किलो बिकने वाला मालदह थोक में 40-60 रुपये प्रति किलो में बुधवार को बाजार समिति में हाथोंहाथ गया। 

    आवक से दाम में हुई कटौती

    पटना फ्रूट एवं भेजिटेब्ल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शशिकांत प्रसाद ने बताया कि बाजार में आवक बढ़ी है। इसके कारण दाम में गिरावट आई है। वर्तमान में 20 प्रतिशत मालदह ओडिशा व बंगाल से आ रहा है, जबकि 80 प्रतिशत झारखंड व भागलपुर के आसपास से आना आरंभ हुआ है।

    बंबइया, गुलाबखास, दशहरी, आम्रपाली भी

    इसके अतिरिक्त जर्दालु भी आने लगा है। बंबईया, गुलाबखास, दशहरी, आम्रपाली का भी खेप आ रही है। उन्होंने बताया कि अभी 70-80 पीकअप आम हर दिन बाजार समिति पहुंच रही है, इसके अतिरिक्त मीठापुर व अन्य जगहों पर भी आम की खेप आ रहे है। इसके कारण दाम में भी गिरावट दर्ज की गई है।

    अप्राकृतिक रूप से पका आम नुकसानदेह

    विशेषज्ञ बताते हैं कि बाजार में 60-70 प्रतिशत तक आम अप्राकृतिक रूप से पकाए हुए मिल रहे हैं। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह हैं। यह न केवल स्वाद में फीका होता है, बल्कि केमिकल से पका होने के कारण स्वास्थ्य पर भी विपरित असर डालता है।

    रोग प्रतिरोधक क्षमता होती प्रभावित

    इसके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त कई बीमारियों को भी आमंत्रण मिलता है। आइजीआइएमएस के डा. मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि आम देखने के साथ-साथ खाने में भी काफी स्वादभरा व आनंदायी होता है, लेकिन यदि यह प्राकृतिक रूप से पका हुआ नहीं हो तो हमारे शरीर पर बुरा असर छोड़ता है।

    आम की प्रमुख किस्म

    दुधिया मालदह :: बिहार की प्रमुख आम की प्रजाति दुधिया मालदह पटना के दीघा में होता है। इसे लंगड़ा या दुधिया मालदह भी कहा जाता है। यह आम अपनी विशेष विशेषताओं, जैसे कि सफेद रंग, मीठा स्वाद और विशिष्ट आकार के लिए जाना जाता है। यह एक अद्वितीय स्वाद के लिए प्रसिद्ध है।

    बंगनपल्ली : यह दक्षिण भारत की प्रसिद्ध किस्म है। यह मीठा और रसदार होता है।

    लंगड़ा : बिहार की प्रमुख किस्मों में एक लंगड़ा आम भी अनोखे स्वाद के लिए जाना जाता है। यह हल्का हरा-पीला रंग और तीखा-मीठा स्वाद का है।

    अल्फांसो (हापुस) : यह प्रमुख रूप से महाराष्ट्र की किस्म है। इसे राजा के रूप में भी जानते है।

    चौसा : यह भी बिहार का प्रमुख आम है। यह बक्सर इलाके में अधिक फसल होती है।

    ऐसे करें पहचान

    आम के प्राकृतिक रूप से या अप्राकृतिक रूप से पकने की पहचान आसानी से की जा सकती है। प्राकृतिक रूप से पके आम का रंग हमेशा हल्का पीला और हरा होता है। इसमें हर आम का रंग भिन्न होता है। केमिकल वाला आम चमकदार होता है।

    प्राकृतिक रूप से पका आम हमेशा एक बेहद अच्छी खुशबू व ताजगी देता है। रसायन से पके आम अपेक्षाकृत खुशबू नहीं देते हैं, जिसमें एक समान चमक नहीं होती। प्राकृतिक पका आम का स्वाद मीठा व जूसी व रसदार होता है, जबकि कृत्रिम पका आम के स्वाद में अंतर होता है।

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