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    Bihar Politics: दिल्ली का पंखा बदलेगा बिहार की चुनावी हवा, वादे भूल गए तो लिखी बातें रहेंगी याद

    Updated: Wed, 20 Mar 2024 02:26 PM (IST)

    वीरचंद पटेलपथ स्थित 35 वर्ष पुरानी दुकान के संचालक सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी होगा। ऐसे में दो वर्ष तक व्यापार की ट्रेन चुनावी पेट्रोल से दौड़ेगी। झंडा टोपी पताका टी-शर्ट और पट्टे की मांग आने लगी है। क्षेत्रीय दलों ने अधिक आर्डर किए हैं। दिल्ली में बिहारी कारीगर हाथ से इस्तेमाल किया जाने वाला पंखा बना रहे हैं।

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    दिल्ली का पंखा बदलेगा बिहार की चुनावी हवा, वादे भूल गए तो लिखी बातें रहेंगी याद

    अक्षय पांडेय, पटना। प्रचार की सीढ़ी से मतदाताओं के दिल में उतरा जा सकता है। सामान्य से इस मंत्र को प्रत्याशियों ने रटा है। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ नेता-कार्यकर्ता तैयारी में जुट गए हैं। दिल्ली की संसद तक पहुंचने को देश की राजधानी में बिहारी कारीगर पंखे बना रहे हैं।

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    हाथ से बने ये पंखे पहली बार बिहार की गर्मी में घूमकर राजनीतिक हवा बदलने को तैयार हैं। राजनीतिक दलों की पूछ बढ़ने से झंडा, टोपी, पताका, टी-शर्ट, पोस्टर और पट्टे का बाजार गर्म है। अप्रैल-मई के तपते सूरज से चुनावी सभाओं में उमस व गर्मी से लोगों का बेचैन होना तय है।

    पटना में तो जून में मताधिकार का प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में जो राहत दे, उसकी पूछ तो बढ़ेगी ही। मतदाताओं को रिझाने के लिए प्रत्याशी तरह-तरह की जुगत में लगेंगे। शरीर पर दौड़ते पसीने को सुखाने की तरकीब बता नेता नीयत से वोटरों को परिचित कराना चाहेंगे।

    पंखे पर पार्टी का चिह्न और चुनावी चेहरा

    वीरचंद पटेलपथ स्थित 35 वर्ष पुरानी दुकान के संचालक सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी होगा। ऐसे में दो वर्ष तक व्यापार की ट्रेन चुनावी पेट्रोल से दौड़ेगी। झंडा, टोपी, पताका, टी-शर्ट और पट्टे की मांग आने लगी है। क्षेत्रीय दलों ने अधिक आर्डर किए हैं। दिल्ली में बिहारी कारीगर हाथ से इस्तेमाल किया जाने वाला पंखा बना रहे हैं। पंखे में एक तरफ पार्टी का चिह्न तो दूसरी तरफ चुनावी चेहरा रहेगा।

    10 से 12 रुपये कीमत वाले पंखे का 10 हजार ऑर्डर मिल चुका है। चुनावी मौसम में गर्मी प्रचंड रहेगी। ऐसे में जो झंडा खरीदेगा, वह फेंकेगा नहीं। इसी तरह पट्टा और झंडा अहमदाबाद से बनकर आ रहा है।

    वादे भूल गए तो लिखी बातें रहेंगी याद

    मतदाताओं को अपने पाले में करना आसान नहीं है। वादे भुला न दिए जाएं, ऐसे में लिखी बातों का महत्व बड़ा है। इसके लिए पोस्टर, टोपी, पताका और टी-शर्ट की इंट्री हो गई है। प्रत्याशी हर किसी तक तो पहुंच नहीं सकता, इस लिए प्रचार सामग्री का इस्तेमाल भरपूर होगा। इसके पहले मांग बढ़े, बाजार उत्पाद से तैयार है। दुकानों में गांधी टोपी छह सौ रुपये सैकड़ा, सामान्य टोपी आठ सौ रुपये सैकड़ा, 20*30 साइज का झंडा 12 सौ रुपये सैकड़ा और सूती गमछा 70 रुपये पीस में उपलब्ध है।

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