अहंकार पर विजय पाना ही मार्दव धर्म
श्रद्धा -दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की हुई पूजा -अहंकार इंसान की बहुत बड़ी कमजोरी इसे त्याग विनम्रता का आचरण करें ------- ...और पढ़ें

पटना । दिगंबर जैन समाज द्वारा मनाए जाने वाले दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन सोमवार को उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हुई। जैन समाज के एमपी जैन ने बताया कि 'उत्तम मार्दव' दिवस, अहंकार पर विजय प्राप्त करने की कला को समझने और सीखने का दिन होता है। अहंकार पर विजय पाना ही मार्दव धर्म है। व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह अहंकार को त्याग कर दूसरों के प्रति विनम्रता का आचरण करे।
उन्होंने कहा कि अहंकार इंसान की एक बहुत बड़ी कमजोरी है। सत्ता, संपदा और शक्ति को पाकर भले हम अहंकार करने लगें, पर इसका स्थायित्व नहीं है। अहंकार से हम फूल तो सकते हैं, पर फैल नहीं सकते। साधारण दृष्टि से मार्दव का अर्थ है मृदु, शिष्ट एवं विनम्र व्यवहार।
उन्होंने बताया कि सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के कारण इस वर्ष किसी भी दिगंबर जैन मंदिर में बृहद आयोजन नहीं किया जा रहा है। अधिकतर श्रद्धालु अपने घरों में ही पूजा कर रहे हैं।
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ऑनलाइन प्रवचन सुन
श्रद्धालु हुए धन्य
वासोकुंड में विराजमान दिगंबर जैन मुनि आचार्य रत्न विशुद्ध सागर महाराज ने ऑनलाइन प्रवचन दिया। जैन पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसके बारे में विस्तार से बताया। महाराज ने कहा कि बहुत से लोग ऊपर से तो कठोर होते हैं, लेकिन भीतर से काफी विनम्र स्वभाव के। जैसे नारियल ऊपर से तो कठोर होता है, लेकिन अंदर से मुलायम औ मीठा होता है। हमें मुलायम और मीठा बोलने वाला होना चाहिए। मंगलवार को पर्युषण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा की जाएगी।
वहीं, महापर्व पर्युषण अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाएगा। गुलजारबाग स्थित सिद्ध क्षेत्र कमलदह दिगंबर जैन मंदिर में मंगलाचरण से आरंभ होने के बाद अन्य धार्मिक आयोजन हुए। कोरोना संक्रमण के कारण लोग घर में ही जप, तप और स्वाध्याय कर रहे हैं। शाम में मंदिर में भजन और मंगल आरती हुई।

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