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    शराब पीने के जुर्म में 4 साल तक काटी जेल, बाहर आया तो न घर बचा न वजूद; भावुक कर देगी मंटू की कहानी

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 11:28 AM (IST)

    पटना में शराब पीने के आरोप में मंटू राम को लगभग चार साल जेल में बिताने पड़े। रिहाई के बाद घर पहुंचे तो वहां सड़क बन चुकी थी। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सहायता से उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली। मंटू राम को 2021 में गिरफ्तार किया गया था।

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    शराब पीने के जुर्म में 4 साल तक काटी जेल की सजा

    जागरण संवाददाता, पटना। शराब पीने के जुर्म में मंटू राम को तीन वर्ष 11 माह जेल की सलाखों के पीछे गुजारने पड़े। बेउर, फुलवारीशरीफ व मसौढ़ी जेल में साफ-सफाई कर जीवन काट रहे मंटूराम को जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सहायता से आखिर हाईकोर्ट से जमानत मिल ही गई।

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    शुक्रवार को जब वे मसौढ़ी जेल से निकले तो जेल द्वार को प्रणाम किया। उस समय उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे, लेकिन उनकी समस्याएं यहां खत्म नहीं हुई। जब वे पटना सिटी स्थित अपने ठिकाने पहुंचे तो वहां उनकी झोपड़ी की जगह सड़क बन चुकी थी।

    इसके बाद वे दानापुर स्थित भाई के पास रहने चले गए। उनके पास अपना मोबाइल नहीं है। ऐसे में रिहाई में मदद करने वाले अधिवक्ता ने उसे अपना नंबर दिया, ताकि अगली पेशी में वे आ सकें और आगे की कार्रवाई जल्द पूरी हो सके।

    बताते चलें कि मंटू राम को जब पकड़ा गया, तब शराब पीने पर जेल की सजा थी, हालांकि बाद में इसे दो से पांच हजार जुर्माना या 30 दिन की कैद की सजा में बदल दिया गया।

    मंटू के साथ जो जेल गए थे, वे छूट गए, लेकिन पैसों व पहचान वालों के अभाव में वह जेल में ही रह गया। आखिरकार लंबे इंतजार, संघर्ष व जिला विधिक प्राधिकार की सहायता से पटना उच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत बंधपत्र पर उसकी जमानत मंजूर कर ली।

    पुलिस को छापेमारी में मिली थी 1,098 लीटर शराब

    आलमगंज थाना पुलिस ने 25 अक्टूबर 2021 में मीना बाजार डोम खाना के पास छापेमारी कर मौके से 1,098 लीटर शराब जब्त की थी। इसमें सात लोगों को आरोपित बनाया गया।

    मंटू को सिर्फ शराब पीने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था, जहां से शराब जब्त की गई थी, उनकी जमानत 2022 में ही हो चुकी है। हालांकि, पैरवी के अभाव में मंटू निचली अदालत से राहत पाने में नाकाम रहे।

    26 अक्टूबर 2021 को पहले उन्हें बेउर जेल भेजा गया। वहां से फुलवारी शरीफ और उसके बाद से वे मसौढ़ी जेल में थे। उन्हें उम्मीद थी कि एक न एक दिन वे जेल से रिहा होंगे। जेल में साफ-सफाई कर वे अपना समय काटते रहे।

    गरीबी के चलते जेल में गुजारे दिन 

    मूल रूप से भागलपुर के निवासी मंटू की पत्नी, दो बेटी और एक बेटा है। एक भाई भी है। पत्नी के पास उतने पैसे नहीं थे कि अधिवक्ता को फीस दे सकें।

    उन्हें विश्वास था कि सरकार से उन्हें मदद मिलेगी और वे छूट जाएंगे। 2023 में पहली बार जमानत ख़ारिज होने के बाद जुलाई 2024 में पुन: आवेदन दाखिल किया, लेकिन वह भी खारिज हो गया।

    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता संतोष कुमार ने बताया कि 26 अक्टूबर 2021 से मंटू राम शराब पीने के मामले में जेल में बंद थे। जहां से उन्हें गिरफ्तार किया गया था, वहीं से शराब बरामदगी मामले में छह लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।

    2022 में मद्य निषेध कानून में संशोधन हुआ। इसमें पहली बार शराब पीने में पकड़े जाने पर पांच से दस दिन की जेल या जुर्माना या अधिकतम तीस दिन जेल की सजा का प्रविधान किया गया। इस केस में मार्च 2023 में जमानत खारिज हो गई थी।

    इसके बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ताओं से मिली सहायता से मामला पटना उच्च न्यायालय पहुंचा। वहां पीड़ित को कोई जमानत देने वाला नहीं मिला। इस पर व्यक्तिगत बंधपत्र पर जमानत मंजूर की गई।

    जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव पल्लवी आनंद ने कहा कि हर व्यक्ति को मुफ्त विधिक सहायता पाने का अधिकार है और दिया भी जा रहा है। न्याय से कोई भी वंचित न रहे, इसके लिए जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं।

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