पाटलिपुत्र सांसद ने लोकसभा में आर्यभट्ट के नाम पर वेधशाला बनाने की उठाई मांग Patna News
पाटलिपुत्र सांसद ने लोकसभा में बुधवार को विश्व के महानतम गणितज्ञ आर्यभट्ट की कर्मभूमि मसौढ़ी में वेधशाला का निर्माण कराए जाने की मांग उठाई।
पटना, जेएनएन। लोकसभा में बुधवार को खगोलशास्त्री आर्यभट्ट की कर्मभूमि मसौढ़ी के तारेगना डीह व दानापुर के खगौल चक्रदाहा को एस्ट्रो टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित करने का मुद्दा उठा। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के सांसद व पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने शून्य काल में यह मांग उठाते हुए मसौढ़ी के तारेगना डीह में आर्यभट्ट के नाम पर वेधशाला का निर्माण कराने की मांग की।
यादव ने कहा कि मसौढ़ी प्रखंड के तारेगना डीह और दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा का नाम विश्व के महानतम गणितज्ञ व खगोलशास्त्री आर्यभट्ट से जुड़ा हुआ है। आर्यभट्ट का जन्म कुसुमपुर में हुआ था, जो वर्तमान में पटना या पाटलिपुत्र कहलाता है। दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा में उन्होंने आश्रम बनाया था और मसौढ़ी के तारेगना डीह में वेधशाला का निर्माण किया था।
तारेगना से की थी तारों की गणना
यह मान्यताएं हैं कि तारेगना से आर्यभट्ट ने तारों की गणना की। उन्होंने ही सर्वप्रथम कहा था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। बीजगणित का जनक भी आर्यभट्ट को माना जाता है। पाई की 4 दशमलव तक शुद्ध गणना उन्होंने ही की थी। आज इसका उपयोग पूरे विश्व के वैज्ञानिक हर खगोलीय मिशन में करते हैं। वर्ष 2009 में जब सूर्यग्रहण लगा था तो अमेरिकी शोध संस्थान नासा ने कहा था कि मसौढ़ी के तारेगना से सबसे बेहतर तरीके से सूर्यग्रहण का अवलोकन किया जा सकता है।
उस समय देश-विदेश के कई नामी-गिरामी वैज्ञानिकों का जुटान हुआ था। उस सूर्यग्रहण के बाद आर्यभट्ट से जुड़े मसौढ़ी के तारेगना डीह का नाम वैश्विक फलक पर प्रमुखता से उभरा था। हम लोगों के लिए सौभाग्य और गर्व की बात है कि देश के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया और आज हमारा पूर्णत: स्वदेशी चंद्रयान-2 मिशन सफलता के नित्य-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जब सितंबर में लैंडर व रोवर की चंद्रमा पर लैंडिंग होगी तो भारत यह सफलता अर्जित करने वाले चौथे देश बन जाएंगे।
यादव ने कहा कि मसौढ़ी प्रखंड के तारेगना डीह और दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा का नाम विश्व के महानतम गणितज्ञ व खगोलशास्त्री आर्यभट्ट से जुड़ा हुआ है। आर्यभट्ट का जन्म कुसुमपुर में हुआ था, जो वर्तमान में पटना या पाटलिपुत्र कहलाता है। दानापुर प्रखंड के खगौल के चक्रदाहा में उन्होंने आश्रम बनाया था और मसौढ़ी के तारेगना डीह में वेधशाला का निर्माण किया था।
तारेगना से की थी तारों की गणना
यह मान्यताएं हैं कि तारेगना से आर्यभट्ट ने तारों की गणना की। उन्होंने ही सर्वप्रथम कहा था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। बीजगणित का जनक भी आर्यभट्ट को माना जाता है। पाई की 4 दशमलव तक शुद्ध गणना उन्होंने ही की थी। आज इसका उपयोग पूरे विश्व के वैज्ञानिक हर खगोलीय मिशन में करते हैं। वर्ष 2009 में जब सूर्यग्रहण लगा था तो अमेरिकी शोध संस्थान नासा ने कहा था कि मसौढ़ी के तारेगना से सबसे बेहतर तरीके से सूर्यग्रहण का अवलोकन किया जा सकता है।
उस समय देश-विदेश के कई नामी-गिरामी वैज्ञानिकों का जुटान हुआ था। उस सूर्यग्रहण के बाद आर्यभट्ट से जुड़े मसौढ़ी के तारेगना डीह का नाम वैश्विक फलक पर प्रमुखता से उभरा था। हम लोगों के लिए सौभाग्य और गर्व की बात है कि देश के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया और आज हमारा पूर्णत: स्वदेशी चंद्रयान-2 मिशन सफलता के नित्य-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जब सितंबर में लैंडर व रोवर की चंद्रमा पर लैंडिंग होगी तो भारत यह सफलता अर्जित करने वाले चौथे देश बन जाएंगे।
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