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    बिहार में विश्वविद्यालयों के वेतनमान में हो रहा खेल, प्रोन्नति में भी घालमेल; डेमोंस्ट्रेटर बन गए प्राध्यापक

    By Dina Nath SahaniEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Sun, 09 Jul 2023 04:30 PM (IST)

    बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन सत्यापन में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। इस गड़बड़ी को शिक्षा विभाग के वेतन सत्यापन कोषांग ...और पढ़ें

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    बिहार में विश्वविद्यालयों के वेतनमान में हो रहा खेल, प्रोन्नति में भी घालमेल; डेमोंस्ट्रेटर बन गए प्राध्यापक

    दीनानाथ साहनी, पटना। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन सत्यापन में बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। लगभग दो हजार लिपिक, वरीय लिपिक, कार्यालय सहायक, लेखा लिपिक, भंडारपाल, पुस्तकालय सहायक और पुस्तकालयाध्यक्ष आदि निर्धारित वेतनमान से ज्यादा राशि पा रहे हैं।

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    इस गड़बड़ी को शिक्षा विभाग के वेतन सत्यापन कोषांग ने पकड़ा है। जांच के क्रम में दिनचर्या लिपिक, सहायक, लेखा लिपिक, भंडारपाल के पदों पर नियुक्त कर्मियों को 4000-6000 रुपये वेतनमान दिया गया, जबकि इन पदों के लिए सरकार द्वारा 3050-4590 रुपये वेतनमान अनुमान्य है।

    इसी तरह प्रधान लिपिक को 5500-9000 रुपये का वेतनमान दिया गया, जबकि 5000-8000 रुपये का वेतनमान अनुमान्य है। शिक्षा विभाग ने दोषियों को चिन्हित करने तथा अनुमान्य वेतनमान के अनुरूप वेतन निर्धारण करने का निर्देश कुलसचिवों को दिया है।

    नियम के विरुद्ध 567 कर्मियों को प्रोन्नति और वेतन लाभ

    राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों को नियम के विरुद्ध प्रोन्नति देने का मामला भी उजागर हुआ है। वेतन सत्यापन कोषांग ने जांच में पाया है कि नियम-परिनियम के विरुद्ध 567 चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को तृतीय श्रेणी में प्रोन्नति और वेतन लाभ दिया गया।

    एसीपी का लाभ देते समय अनुमान्य से ज्यादा वेतनमान ग्रेड-पे दिए गए हैं। यही गड़बड़ी शारीरिक शिक्षक अनुदेशकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को प्रोन्नति एवं वेतन निर्धारण में की गई है। वेतन सत्यापन कोषांग के एक पदाधिकारी ने बताया कि अंगीभूत महाविद्यालयों में दिनचर्या लिपिकों को प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति एवं वेतन देने में भी नियम-परिनियम का पालन नहीं किया गया।

    दिनचर्या लिपिक को प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति देकर 6500-10500 का वेतनमान दिया गया, जबकि इस पद हेतु 5000-8000 का वेतनमान अनुमान्य है। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी आदेशपाल के लिए अनुमान्य वेतनमान 2550-3200 है। इसके विरुद्ध विश्वविद्यालय द्वारा 2610-5340 रुपये वेतनमान निर्धारण किया गया।

    896 शिक्षकों को प्रोन्नति व वेतन में भी घालमेल

    वेतन सत्यापन कोषांग में विभिन्न विश्वविद्यालयों के करीब 896 शिक्षकों को प्रोन्नति और वेतन निर्धारण में भी गड़बड़ी उजागर हुई है। जो पूर्व में डेमोंस्ट्रेटर के पद पर थे। उन्हें गलत प्रोन्नति देकर प्राध्यापक बना दिया गया और फिर एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति तथा वेतनमान देने में नियम व अर्हता का पालन नहीं किया गया।विश्वविद्यालयों द्वारा नियम के विरुद्ध शिक्षकों को प्रोन्नति और वेतन निर्धारण किया है। कई मामलों में वरीयता की भी अनदेखी की गई।

    उच्च शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक जिन शिक्षकों के वेतन सत्यापन से जुड़े दस्तावेजों की जांच हुई है, उसमें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, पाटलीपुत्रा विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, जय प्रकाश विश्वविद्यालय और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन एवं प्रोन्नति के मामले शामिल हैं। जांच में कई स्तर पर गड़बडियां सामने आई हैं।