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    भाद्रपद माह में 10 अगस्त से शुरू होगा त्योहारों का सिलसिला, जानें किस तारीख को रहेगा कौन सा पर्व

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 07:54 AM (IST)

    भाद्रपद मास 10 अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर को समाप्त होगा। इस महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी गणेश चतुर्थी कुशी अमावस्या हरितालिका तीज जैसे कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। शास्त्रों में इस महीने को मन की शुद्धि के लिए उत्तम माना गया है। पितृपक्ष की शुरुआत भी इसी महीने में होगी जिसमें पूर्वजों का तर्पण किया जाएगा।

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    महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, कुशी अमावस्या, हरितालिका तीज जैसे कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में भाद्रपद दूसरा महीना है। यह 10 अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर, रविवार को भाद्रपद स्नान-दान पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। कृष्ण पक्ष में षष्ठी तिथि का क्षय होने से यह महीना 29 दिनों का होगा।

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    इस महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, कुशी अमावस्या, हरितालिका तीज व्रत, गणेश चतुर्थी, कर्मा-धर्म, अनंत चतुर्दशी, अगस्त मुनि तर्पण समेत अन्य त्योहार भी होंगे। शास्त्रों में इस महीने को मन की शुद्धि और मन को पवित्र भावनाओं से भरने के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।

    भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी में 16 अगस्त को गृहस्थ और साधु-संत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। घरों के साथ-साथ मंदिरों में भी भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाएगी।

    17 अगस्त: भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी, गणेश चतुर्थी 17 अगस्त, बुधवार को हस्त और चित्रा नक्षत्र के संयोग में मनाई जाएगी। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। इस दौरान, भक्त घरों और पूजा पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करेंगे।

    23 अगस्त: कुशी अमावस्या मघा नक्षत्र और परिघ योग में मनाई जाएगी। इस दिन देव कार्य, पितृ कार्य, तर्पण, पिंडदान के अलावा धार्मिक कार्यों के लिए कुश उखाड़े जाएँगे।

    26 अगस्त: भाद्रपद शुक्ल तृतीया, मंगलवार को हस्त नक्षत्र और सिद्धयोग में सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य में वृद्धि के लिए तीज व्रत रखेंगी। इस दिन सुहागिनें शिव-पार्वती की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगी। मिथिलांचल का लोक पर्व चौरचन मनाया जाएगा। व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास रखेंगी और चंद्रोदय के साथ चंद्रमा की पूजा करेंगी और अर्घ्य देकर प्रार्थना करेंगी।

    3 सितंबर: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और आयुष्मान योग में कर्म-धर्मा एकादशी मनाई जाएगी।

    6 सितंबर: रवियोग में भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाएगी। इस दिन पूजा के बाद भक्त अनंत सूत्र बांधेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे।

    7 सितंबर: भाद्रपद पूर्णिमा, शतभिषा नक्षत्र और सुकर्मा योग में। पितृ पक्ष 7 सितंबर, रविवार को अगस्त मुनि के तर्पण के साथ शुरू होगा और 21 सितंबर को समाप्त होगा। इस दिन देवताओं और ऋषियों को तर्पण किया जाएगा।