देशभर में इस काम के लिए बिहार का दबदबा! अब राज्य में महिलाओं को मिलेगा इसके जरिए रोजगार
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना विकास संभव नहीं। बिहार में 2005 से महिला सशक्तिकरण की नींव रखी गई। बिहार 9.2% विकास दर के साथ तीसरे स्थान पर है जिसमें महिलाओं का बड़ा योगदान है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 1.40 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं सशक्त हुई हैं। जीविका दीदियां अब आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के कपड़े सिलेंगी और रसोई का प्रबंधन भी करेंगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बिना किसी भी परिवार, समाज, राज्य या देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। बिहार आज विकास के पथ पर अग्रसर है, क्योंकि वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था, तब उन्होंने सबसे पहले राज्य में महिला सशक्तिकरण की नींव रखी थी।
ललन सिंह शनिवार को सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में "महिलाओं की भागीदारी से विकसित बिहार की परिकल्पना" विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम भारतीय लोक प्रशासन संस्थान और जीविका द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन में जीविका समूह की दीदियों ने भाग लिया।
ललन सिंह ने कहा कि आज बिहार 9.2 प्रतिशत की विकास दर के साथ देश में तीसरे स्थान पर है। इसका मुख्य कारण महिला सशक्तिकरण है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले महिलाओं की शक्ति को पहचाना और न केवल उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के प्रयास तेज़ किए, बल्कि उनमें नेतृत्व कौशल विकसित करने के लिए उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की पहल भी की।
पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की रणनीति बनाई गई। आज बिहार में 11 लाख स्वयं सहायता समूह हैं और राज्य की 1.40 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं इन समूहों से जुड़ी हैं।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर वर्ष 2047 तक देश की महिलाओं को सशक्त नहीं बनाया गया, तो भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।
आवासीय विद्यालय की रसोई संभालेंगी जीविका दीदियां
बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार में महिला सशक्तिकरण का कार्य देश के लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि अब आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के कपड़े भी जीविका दीदियाँ ही सिलेंगी। साथ ही, आवासीय विद्यालयों के रसोईघरों का प्रबंधन भी जीविका दीदियों द्वारा किया जाएगा। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस अवसर पर विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक एसएन त्रिपाठी, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह सहित राज्य एवं केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।