एकता का मंच तैयार: राजद-कांग्रेस समेत सहयोगी दल आज दिखाएंगे गठबंधन की ताकत
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच, राजद, कांग्रेस और अन्य महागठबंधन दल पटना में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इस बैठक में चुनावी रणनीति, प्रचार अभियान और सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी। नेता एकजुटता का संदेश देंगे और विपक्षी एकता का प्रदर्शन करेंगे। इस प्रयास को गठबंधन की मजबूती और अंदरूनी असंतोष को शांत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

आज दोपहर महागठबंधन की पटना में साझा प्रेस कांफ्रेंस
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच चल रही अंदरूनी खींचतान और सीटों पर जारी मतभेद के बावजूद आज महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वीआइपी, वाम दल) के नेता एक मंच पर नजर आएंगे। पटना में गुरुवार की दोपहर महागठबंधन की साझा प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई है, जिसमें चुनावी रणनीति, प्रचार अभियान और सीटों के बंटवारे से उपजे असंतोष को दूर करने के प्रयासों पर चर्चा होगी।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लवरू, वाम दलों के प्रतिनिधि और वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी मौजूद रहेंगे। यह बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है जब महागठबंधन के भीतर कई सीटों पर आपसी टकराव खुलकर सामने आ चुका है और बागी नेता लगातार नाराजगी जता रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में महागठबंधन के शीर्ष नेता एकजुटता का संदेश देंगे और विपक्षी एकता की तस्वीर पेश करेंगे।
खासकर कांग्रेस और राजद के बीच चली आ रही बयानबाजी के बाद यह साझा मंच राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। कांग्रेस की ओर से पिछले कुछ दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं ने सीटों के चयन और उम्मीदवारों की अनदेखी पर असंतोष जताया था। वहीं, राजद नेतृत्व ने अब यह स्पष्ट संकेत दिया है कि गठबंधन को मजबूत रखना ही प्राथमिकता है।
महागठबंधन के रणनीतिकारों का मानना है कि जनता के बीच “विभाजित विपक्ष” की छवि बनने से नुकसान हो सकता है, इसलिए अब यह दिखाना जरूरी है कि सब दल एकजुट हैं और सरकार बनाने के लिए मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा घोषणापत्र को लेकर भी संकेत मिल सकते हैं, जिस पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है।
राजनीतिक हलकों में इसे “डैमेज कंट्रोल” की बड़ी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
चुनावी माहौल में यह साझा मंच जहां गठबंधन की मजबूती का प्रतीक बनेगा, वहीं अंदरूनी असंतोष को शांत करने का भी प्रयास होगा। अब नजरें इस बात पर हैं कि इस एकजुटता के संदेश से मतदाताओं के बीच कितना भरोसा कायम हो पाता है।

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