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    Bihar Election: नामांकन के अंतिम दिन भी नहीं सुलझा महागठबंधन का विवाद, राजद की सीट पर VIP का दावा

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 10:14 PM (IST)

    दूसरे चरण के नामांकन के अंतिम दिन महागठबंधन में सीटों को लेकर विवाद जारी रहा। राजद ने 143, कांग्रेस ने 6 और वीआईपी ने 16 उम्मीदवार घोषित किए। राजद और वीआईपी में मधुबनी की एक सीट पर टकराव है। राजद ने कांग्रेस की सीट पर भी उम्मीदवार उतारा है। राजद ने जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है। कई विधायकों के टिकट भी काटे गए हैं।

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    तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी

    राज्य ब्यूरो, पटना। दूसरे चरण के नामांकन के अंतिम दिन भी सीटों की संख्या को लेकर महागठबंधन के घटक दलों का विवाद नहीं सुलझ पाया। सोमवार को राजद ने 143, कांग्रेस ने छह और विकासशील इंसान पार्टी ने 16 उम्मीदवारों की सूची जारी की।

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    राजद की सूची में मधुबनी जिले की बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र के लिए अरुण कुशवाहा का नाम है। वीआइपी ने इस सीट पर विंदू गुलाब यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया। दोनों उम्मीदवारों का नामांकन भी हो गया है। राजद विधायक शशिभूषण सिंह को वीआइपी ने सुगौली से उम्मीदवार बनाया है।

    यह राजद की सहमति से हुआ है।राजद ने जमुई जिला के सिकंदरा से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। यह कांग्रेस के कोटे की सीट है। कांग्रेस की ओर से विनोद चौधरी ने नामांकन किया है।

    सिकंदरा में राजद से तालमेल के आधार पर 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हो गई। राजद ने इसी आधार पर वहां अपना दावा किया है। राजद की सूची में परम्परागत माय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है।

    राजद ने 52 यादवों और 18 मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया है। यह कुल उम्मीदवारी का करीब 50 प्रतिशत है। पिछड़ी जातियों में राजद ने कुशवाहा को प्राथमिकता दी है। इस जाति के 15 उम्मीदवार बनाए गए हैं। वैश्य समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी ठीकठाक है।

    राजद ने दो दर्जन से अधिक विधायकों को बेटिकट कर दिया है। यह अन्य दलों की तुलना में सर्वाधिक है। राजद के एक विधायक छोटे लाल राय सारण जिले के परसा से जदयू टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

    पिछली बार 70 सीटों पर लड़ी कांग्रेस इस चुनाव में 60 सीटों पर लड़ रही है। गठबंधन के तहत भाकपा माले का 20 सीटें दी गई हैं। इस समय महागठबंधन के विभिन्न दल 10 सीटों पर आपस में टकरा रहे हैं।

    सुलह की बातचीत भी चल रही है। संभव है कि नाम वापस लेने की तिथि या उससे पहले दोस्ताना संघर्ष वाली सीटों की संख्या कम हो जाए।