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    बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में रार, एक-दूसरे की सीटों पर उतार रहे उम्मीदवार

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 08:19 PM (IST)

    बिहार में आगामी चुनावों से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ गया है। पार्टियां एक-दूसरे की सीटों पर उम्मीदवार उतार रही हैं, जिससे गठबंधन में दरार आ गई है। सीटों पर दावेदारी और उम्मीदवारों की घोषणा से तल्खी बढ़ गई है, जिससे गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दलों को मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

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    राज्य ब्यूरो, पटना। पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। घटक दलों के बीच तनाव इस कदर है कि टूट की आशंका जाहिर की जा रही है।

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    राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी गठबंधन से अलग हो चुकी है और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने छह सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अगर झामुमो अपने दावे पर कायम रहा तो 20 से अधिक सीटों पर एनडीए के बदले महागठबंधन के घटक दलों के बीच ही हो जाएगी।

    इधर कांग्रेस का आंतरिक असंतोष भी बाहर हो रहा है। पार्टी के दो पूर्व विधायकों-गजानन शाही और बंटी चौधरी ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी के अल्लाबारू पर आलाकमान को अंधेरे में रख कर पैरवी वालों को उम्मीदवार बनाने का आरोप लगाया है।

    महागठबंधन में विवाद की शुरुआत बेगूसराय के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा के बाद हुई। 2024 के चुनाव में भाकपा यहां दूसरे स्थान पर थी। कांग्रेस ने उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे गरीब दास को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

    भाकपा की त्वरित प्रतिक्रिया हुई। उसने कांग्रेस की सिटिंग सीट राजापाकर पर अपना उम्मीदवार उतार दिया। रोसड़ा में कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी। भाकपा ने रोसड़ा के साथ बिहारशरीफ में भी उम्मीदवार की घोषणा कर दी।

    इसके बाद राजद ने भी कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर उम्मीदवार उतारना शुरू कर दिया। राजद ने कांग्रेस के कोटे की वारसलीगंज, वैशाली और लालगंज पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है।

    राजद कांग्रेस की अंदरूनी विवाद में फंसी सिंकदरा विधानसभा क्षेत्र पर भी दावा कर रहा है। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी सिकंदरा से राजद उम्मीदवार हो सकते हैं।

    विवाद का असर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार की विधानसभा सीट कुटुंबा पर भी पड़ा है। पूर्व मंत्री सुरेश पासवान यहां से राजद उम्मीदवार हो सकते हैं। राजद की योजना से नाराज राजेश कुमार ने शनिवार को टवीट किया-दलित दबेगा नहीं, झुकेगा नहीं। अब इंकलाब होगा।

    असल में कांग्रेस दोहरे संकट की शिकार हो गई है। इसके कारण उसे उम्मीदवार भी बदलना पड़ रहा है। जाले से पहले के लिए घोषित उम्मीदवार को बदल कर राजद से आए ऋृषि मिश्रा को सिंबल दिया गया है।

    नरकटियागंज के लिए घोषित राजन तिवारी के बदले कांग्रेस ने शाश्वत केदार पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने जमालपुर की अपनी जीती हुई सीट पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की और वहां शुक्रवार को नामांकन भी समाप्त हो गया।

    झामुमो का बिहार में राजद-कांग्रेस पर धोखे का आरोप

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने गठबंधन के प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर बिहार विधानसभा चुनाव में धोखा देने का गंभीर आरोप लगाया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि राजद ने बार-बार आश्वासन देकर झामुमो को ठगा, जिसके चलते पार्टी ने बिहार में छह सीटों—चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती—पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

    सुप्रियो ने कहा कि झारखंड में झामुमो ने हमेशा राजद को सम्मान दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद को सात सीटें दी गईं, जिनमें से एकमात्र विजयी उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता को पांच साल तक कैबिनेट मंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मान दिया और हर कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया।

    2024 के चुनाव में राजद को छह सीटें दी गईं, जिनमें चार उम्मीदवार जीते और एक को महत्वपूर्ण विभाग के साथ कैबिनेट मंत्री बनाया गया। सुप्रियो ने कहा, 'हमने राजद को झारखंड में पूरा सम्मान दिया, लेकिन बिहार में हमें बार-बार इंतजार करने की नसीहतें मिलीं। झामुमो सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन सम्मान से समझौता नहीं।'