हार के लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में भी महागठबंधन पीछे, आखिर कहां फंस रहा पेंच?
बिहार महागठबंधन में हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई में देरी हो रही है। गठबंधन के भीतर कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है, जिसके कारण कार् ...और पढ़ें

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा चुनाव के परिणाम पर सभी राजनीतिक दलों में मंथन चल रहा है। उन अपनों की पहचान हो रही है, जिन्होंने चुनाव के समय दल विरोधी आचरण किया। अपार बहुमत हासिल करने के बावजूद एनडीए के दो बड़े घटक दलों-भाजपा और जदयू ने इस श्रेणी के कई नेताओं की पहचान की। उनके विरूद्ध कार्रवाई भी की।
महागठबंधन के बड़े घटक दलों-राजद और कांग्रेस में अभी समीक्षा ही चल रही है। कार्रवाई नहीं हो रही है।भारतीय जनता पार्टी की अनुशासनिक कार्रवाई चुनाव के दिनों में शुरू हो गई, जो परिणाम के बाद भी जारी है। सबसे बड़ी कार्रवाई पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह के विरूद्ध हुई।
उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था। यह अलग बात है कि सिंह ने नोटिस का उत्तर देने के बदले पार्टी की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। भाजपा ने अपने विधान पार्षद अशोक अग्रवाल को भी नोटिस दिया था। उनकी पत्नी कटिहार में दलीय उम्मीदवार के विरूद्ध दूसरे दल से चुनाव लड़ रही थीं।
अग्रवाल दल में बने हुए हैं। क्योंकि अपने उत्तर में उन्होंने दल विरोधी आचरण के आरोप को अस्वीकार कर दिया। भाजपा कला-संस्कृति विभाग के संयोजक बरुण सिंह बहादुरगंज से निर्दलीय चुनाव लड़े थे।
उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। फिर भी वे भाजपा की गतिविधियों में पहले की तरह सक्रिय हैं। सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें मंच पर देखा गया था।
जदयू ने की बड़ी कार्रवाई
विधानसभा चुनाव में दल विरोधी आचरण के आरोप में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई जदयू ने की है। पार्टी ने बगहा, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय एवं भोजपुर के जिलाध्यक्षों को पद से हटा दिया।
इन जिलों में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। संभव है कि कुछ और पदधारकों के विरूद्ध भी कार्रवाई हो। बेगूसराय के जिलाध्यक्ष पद से हटाए गए रुदल राय विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं।
जिम्मेवारी तय नहीं
दरअसल, राजद और कांग्रेस में हार की ताबड़तोड़ समीक्षा तो हुई, लेकिन किसी जिम्मेवार पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कारण यह कि दोनों दल यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि बुरी हार के लिए कौन जिम्मेवार है?
राजद की समीक्षा बैठक में हार के जिम्मेवार के तौर पर राज्यसभा सांसद संजय यादव और कुछ ऐसे नेताओं के नाम लिए गए, जो व्यवहारिक रूप में दल के सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव के अति प्रिय हैं।
इसी तरह कांग्रेस में हार का ठिकरा प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम सहित उन नेताओं के सिर फोड़ा जा रहा है, जिन्हें राजद से समझौते की बात करने के अलावा उम्मीदवारों के चयन की जिम्मेवारी दी गई थी। राजेश राम ने नैतिकता के आधार पर त्याग पत्र का प्रस्ताव दिया था। इसे स्वीकार नहीं किया गया।

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