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    Bihar Chunav 2025: महागठबंधन में जारी है बवाल, इन सीटों में अपनों के खिलाफ ही ठोक रहे ताल

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 09:29 AM (IST)

    बिहार में महागठबंधन चुनावी मैदान में एकजुट नहीं दिख रहा है। एक दर्जन सीटों पर घटक दलों के बीच दोस्ताना संघर्ष है। चैनपुर, वैशाली, नरकटियागंज और राजापाकर जैसी सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। दरभंगा में राजद और वीआइपी के प्रत्याशी आमने-सामने हैं, जिससे भ्रम की स्थिति है। बछवाड़ा में भाकपा और कांग्रेस के उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जिससे महागठबंधन में दरार दिख रही है।

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    महागठबंधन में खींचतान

    जागरण टीम, पटना। बिहार और समाज की एकजुटता का दावा करने वाला महागठबंधन चुनावी मोर्चे पर स्वयं ही एकजुट नहीं रह पाया। मैदान का परिदृश्य तो यही बता रहा। इस बार एक दर्जन सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के बीच दोस्ताना संघर्ष (फ्रेंडली फाइट) की नौबत है। ऐसा तब जबकि सीट बंटवारे में भी उसने पर्याप्त समय लिया।

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    हालांकि, आखिर-आखिर समय तक हीला-हुज्जत भी खूब हुई। इसी हीला-हुज्जत में अंदर की गांठ अनसुलझी ही रह गई। अब वह गांठ मैदान में खोली जा रही है। स्थिति यह है कि महागठबंधन के दिग्गज नेता उन सीटों पर प्रचार से भी गुरेज करने लगे हैं। भाकपा तो कांग्रेस पर एनडीए का साथ देने का आरोप खुलेआम लगा रही।

    कांग्रेस बेचारी बनी हुई है, क्योंकि दोस्ताना संघर्ष वाली सर्वाधिक सीटों पर वही चुनौती झेल रही। कहलगांव में तो उसके लिए हद ही हो गई। जिस परिवार के बूते उसके लिए यह परंपरागत सीट बनी हुई थी, वह एनडीए के साथ हो गया और ना-ना करते मुकाबिल में राजद ने अपना प्रत्याशी उतार दिया।

    अब पेच फंसा हुआ है, कहलगांव सहित सभी 12 सीटों पर। फरिया लेने के अंदाज में इन सीटों पर सहयोगी दल एक-दूसरे को ललकार रहे।

    चैनपुर में राजद के साथ वीआइपी भी मैदान में डटी

    कैमूर जिले के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के राजद व वीआइपी दोनों मैदान में डटे हैं, इससे लड़ाई रोचक हो गई है। राजद से बृजकिशोर बिंद व वीआइपी से बालगोविंद बिंद चुनाव लड़ रहे हैं। इससे महागठबंधन के आधार वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है। इन दोनों का व्यक्तिगत प्रभाव भी मायने रखेगा।

    महत्वपूर्ण यह कि राजद प्रत्याशी पूर्व में भाजपा में थे और चैनपुर के विधायक भी रहे हैं, जबकि वीआइपी के प्रत्याशी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। राजग के जदयू ने यहां से मो. जमां खां को प्रत्याशी बनाया है, वह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं। इनके बारे में महत्वपूर्ण यह कि वह वर्ष 2020 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, बाद में जदयू में शामिल हो गए।

    इसके बाद उन्हें मंत्री भी बना दिया गया। इस बार जदयू ने उन्हें टिकट दिया है। चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां का चुनाव परिणाम महागठबंधन में सीट बंटवारे में देरी व असमंजस और राजग में सहजता से सीट बंटवारे का प्रतिफल भी होगा।

    वैशाली में कांग्रेस और राजद को होगा वास्तविकता का सक्षात्कार

    वैशाली विधानसभा सीट इस बार परिवार और गठबंधन दोनों की कड़ी परीक्षा ले रही है। एनडीए की ओर से जदयू ने विधायक सिद्धार्थ पटेल पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने उन्हीं के चाचा और इस क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री वृशिण पटेल निर्दलीय मैदान में हैं।

    पारिवारिक खींचतान के अलावा, यहां महागठबंधन के भीतर भी गहरा टकराव है। कांग्रेस ने संजीव सिंह को टिकट दिया है, जबकि राजद ने अजय कुशवाहा को मैदान में उतारा है। यह चुनाव महागठबंधन के दोनों घटक दलों को उनकी वास्तविक स्थिति का साक्षात्कार कराएगा। वोटों में प्रत्याशियों का व्यक्तिगत प्रभाव भी दिखेगा।

    नरकटियागंज में एक-दूसरे को देख लेने की जिद

    2015 में पश्चिम चंपारण जिला की नरकटियागंज सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार के चुनाव में राजद के साथ दोस्ताना संघर्ष में फंसी है। कहने के लिए यह संघर्ष दोस्ताना है, लेकिन क्षेत्र में राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार एक-दूसरे पर आरोप लगाकर मतदाताओं में पकड़ मजबूत कर रहे।

    यहां कांग्रेस से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र शाश्वत केदार मैदान में हैं, जबकि राजद की ओर से बगहा चीनी मिल के मालिक दीपक यादव उम्मीदवार हैं। आइएनडीआइए के आधार वोटर मुस्लिम और यादवों पर दोनों की नजर है।

    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ब्राह्मण मतदाताओं में कांग्रेस के शाश्वत केदार की पैठ यहां कांग्रेस का भविष्य तय करने वाली है। उसी प्रकार राजद के दीपक यादव के साथ यादव मतदाताओं की गोलबंदी देखने के बाद ही मुस्लिम मतदाताओं के उनके साथ जाने की संभावना है।

    राजापाकर में कांग्रेस को है भाकपा से चुनौती

    वैशाली जिले के राजापाकर में इस बार मुकाबला रोचक और पेचीदा हो गया है। वर्ष 2020 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने वाली प्रतिमा कुमारी को पार्टी ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, जदयू ने पिछली बार रनर रहे महेंद्र राम को दोबारा मैदान में उतारा है।

    असली पेच महागठबंधन के घटक दल भाकपा का है, उसने यहां से मोहित पासवान को प्रत्याशी बनाया है। मोहित वर्तमान में जिला पार्षद भी हैं। पिछली बार की विजेता कांग्रेस के नजरिए से देखें तो यहां कांग्रेस को जदयू से चुनौती तो है ही, सहयोगी भाकपा से भी पार पाने की दोहरी चुनौती है।

    इस सीट को लेकर कांग्रेस पहले से ही कुछ अनमने भाव में थी। बाद में उसकी इच्छा पर तुषारापात करते हुए राजद ने भाकपा को आगे बढ़ने का इशारा कर दिया।

    दरभंगा के गौड़ाबौराम में प्रत्याशियों में खींचतान

    दरभंगा जिला में गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन से दो प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। इनके समर्थक भ्रमित हैं। इस सीट से राजद के अफजल अली खां लड़ रहे हैं। वे नामांकन के बाद से ही प्रचार कर रहे।

    इस बीच गुरुवार को तेजस्वी यादव चुनावी सभा में आए तो उन्होंने अफजल की जगह वीआइपी प्रत्याशी मुकेश सहनी के छोटे भाई संतोष सहनी को महागठबंधन का अधिकृत प्रत्याशी बताया। उन्हें माला पहनाई। तेजस्वी ने कहा कि कुर्बानी देने का समय है। त्याग से ही भाजपा को शिकस्त दी जा सकती है, लेकिन राजद प्रत्याशी प्रचार में लगे हैं।

    अफजल 2020 में भी राजद से चुनाव लड़े थे, लेकिन वीआइपी प्रत्याशी स्वर्णा सिंह से हार गए थे। बाद में वह भाजपा में चली गई थीं। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता प्रभावी संख्या में हैं। इसका असर वीपीआइ प्रत्याशी की जीत पर पड़ सकता है।

    बछवाड़ा में भाजपा से निपटने भाकपा आई तो लगे हाथ कांग्रेस भी

    बेगूसराय की बछवाड़ा विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। महागठबंधन में दरार साफ दिख रही है। यहां उनके दो घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं। भाकपा से अवधेश कुमार राय और कांग्रेस से शिव प्रकाश गरीबदास हैं।

    दोनों को अपनी-अपनी पार्टी से सिंबल मिला था। यहां राजग के भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र मेहता, जन सुराज पार्टी से रामोद कुंवर मैदान में हैं। बछवाड़ा सीट महागठबंधन में हुए समझौते के तहत भाकपा के खाते में गई थी, परंतु कांग्रेस ने इस निर्णय का नहीं माना।

    महत्वपूर्ण तथ्य है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अवधेश राय और शिवप्रकाश गरीबदास दोनों ने चुनाव लड़ा था, तब अवधेश भाकपा से और गरीबदास निर्दलीय थे। निर्दलीय रहते हुए भी उन्होंने 39878 वोट हासिल किए थे।

    मुख्य प्रतिद्वंद्विता भाजपा के सुरेंद्र मेहता व भाकपा के अवधेश राय में हुई थी। सुरेंद्र मात्र 484 वोटों के मामूली अंतर से जीत सके थे। उनको 54,738 वोट (30.21%) और निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 54,254 वोट (29.94%) मिले थे।

    खगड़िया के बेलदौर में कांग्रेस से फरियाने में लगी वीआइपी

    खगड़िया के बेलदौर विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन के दो दल आमने-सामने है। कांग्रेस से मिथिलेश निषाद और आइआइपी से तनीशा भारती उर्फ तनीषा चौहान को टिकट दिया है। यहां अब तक महागठबंधन के किसी भी बड़े नेता की सभा नहीं हुई है।

    सुल्तानगंज में कांग्रेस के साथ राजद की लंगड़ीमार

    भागलपुर जिले के सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से जदयू व कांग्रेस ने पुराने प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। जदयू ने वर्तमान विधायक ललित नारायण मंडल के टिकट दिया है।

    वहीं कांग्रेस ने फिर से ललन कुमार को टिकट दिया है। राजद ने चंदन कुमार को प्रत्याशी बनाया गया है। पिछले दो बार से यह सीट कांग्रेस की रही है। पिछली बार भी ललन कुमार ही कांग्रेस के प्रत्याशी थे।

    करगहर में खम ठोक रही कांग्रेस और भाकपा

    रोहतास जिले के करगहर में महागठबंधन के घटक दलों (कांग्रेस और भाकपा) के बीच संघर्ष व कई मजबूत प्रत्याशियों की उपस्थिति ने लड़ाई को बहुकोणीय बना दिया है। यहां भी वैशाली के राजापाकर की तरह कांग्रेस के सिटिंग विधायक को भाकपा ने उम्मीदवार उतारकर चुनौती दे दी है।

    कांग्रेस विधायक संतोष कुमार मिश्र दोबारा मैदान में हैं, वहीं भाकपा के सिंबल पर महेंद्र प्रसाद गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं यहां जदयू से पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह चुनाव मैदान में हैं।

    वे वर्ष 2015 में जदयू से चुनाव जीते थे। इस बार भी जदयू ने उन्हें टिकट दिया है। बसपा से उदय प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं। 2020 में वे 47,321 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके अलावा जन सुराज पार्टी से भोजपुरी स्टार रितेश पांडेय हैं। इस कारण यहां वोटों का बिखराव तय माना जा रहा है। करगहर से कुल 12 प्रत्याशी हैं।

    बिहारशरीफ में नाजुक मोड़, राजद ने पत्ते नहीं खोले

    महागठबंधन से दो प्रत्याशियों के मैदान में रहने से बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति नाजुक मोड़ पर है। महागठबंधन के दो घटक दलों (भाकपा और कांग्रेस) के उम्मीदवार डटे हुए हैं। कांग्रेस से उमेर खान और भाकपा से शिवकुमार यादव प्रत्याशी हैं।

    महागठबंधन की यह गांठ दोनों ही दलों के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है। हालांकि इसमें राजद की भूमिका बड़ी होगी। राजद किसके पाले में होगा, यह अब तक स्पष्ट नहीं है। भाजपा ने वर्तमान विधायक व मंत्री डॉ. सुनील को प्रत्याशी बनाया है। वह पहले जदयू में थे और पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।

    कहलगांव में कांग्रेस से उसकी परंपरागत सीट पर भिड़ने पहुंच गया राजद

    भागलपुर जिले के कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से शुभानंद मुकेश जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में वे कांग्रेस के प्रत्याशी थे और भाजपा के पवन कुमार यादव से चुनाव हार गए थे। महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस ने इस बार प्रवीण सिंह कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

    वहीं, राजद ने भी रजनीश भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से बागी हुए पवन यादव निर्दलीय मैदान में हैं। जन सुराज पार्टी से मंजर आलम चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय मुकाबला है।

    भाजपा के बागी पूर्व विधायक पवन कुमार यादव व जन सुराज के मंजर आलम मुकाबले को रोमांचक बना रहे हैं। कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

    जमुई के सिकंदरा में राजद लगा कांग्रेस को धूल चटाने में

    जमुई जिले के सिकंदरा विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प बना हुआ है। महागठबंधन से कांग्रेस ने विनोद चौधरी और राजद ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नरायण चौधरी को टिकट दिया है। दोनों चुनावी मैदान में आमने-मने हैं। यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की रही है।

    पिछले चुनाव में यहां सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी कांग्रेस के प्रत्याशी थे। वहीं, एनडीए को मात देने के लिए जन सुराज पार्टी भी जोर आजमाइश में पीछे नहीं है। इस तरह से यूं कहें तो महागठबंधन में रार ठनने से एनडीए अपना रास्ता साफ मान रहा है।