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    आधार फर्जीवाड़ा : यूट्यूब से सीखकर बनाई फर्जी वेबसाइट, फिर भोलेभाले लोगों को ऐसे बनाया शिकार

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 07:58 PM (IST)

    आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने मधेपुरा में आधार सिस्टम में सेंधमारी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। साइबर अपराधी ECMP सॉफ्टवेयर में राजस्थान के लॉगिन आईडी का उपयोग कर सिस्टम को बाईपास कर रहे थे। रामप्रवेश ने यूट्यूब से फर्जी पोर्टल बनाना सीखा और लोगों से बायोमेट्रिक डेटा एकत्र कर साइबर अपराधियों को बेचता था।

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    राजस्थान के लागिन आइडी से बाईपास हो रहा था आधार सिस्टम

    राज्य ब्यूरो, पटना। आधार सिस्टम में सेंधमारी कर फर्जी दस्तावेज बनाने वाले मधेपुरा गिरोह की जांच और पूछताछ में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को कई जानकारियां मिली हैं।

    साइबर अपराधी ECMP (आधार साफ्टवेयर) में राजस्थान के लॉगिन आइडी का उपयोग कर आधार सिस्टम को बाईपास कर रहे थे।

    EOU के अनुसार, मधेपुरा से गिरफ्तार रामप्रवेश ने विकास कुमार के माध्यम से नीतीश नाम के व्यक्ति से संपर्क किया। नीतीश ने एनीडेस्क का उपयोग कर रामप्रवेश के लैपटॉप पर अवैध रूप से ईसीएमपी (adhar Software) डाउनलोड कर दिया।

    इस सॉफ्टवेयर में डाटा में बदलाव के लिए आधार के ऑपरेटर को बायोमेट्रिक आथेंटिकेशन जरूरी होता है जिसका ओटीपी आपरेटर के मोबाइल पर आता है।

    ईसीएमपी लागिन आईडी प्राप्तकर्ता की मिलीभगत से रामप्रवेश ने बायोमेट्रिक आथेंटिकेशन के लिए सिलिकान फिंगर प्रिंट बनाया जिससे ईसीएमपी को एक्सेस करना आसान हो गया।

    ईसीएमपी को लागिन करने के लिए रामप्रवेश राजस्थान के लागिन आईडी का उपयोग करता था और आधार सिस्टम को बाईपास करते हुए लोगों के आधार में संशोधन करता था।

    ईओयू के अनुसार, रामप्रवेश और उसके गिरोह ने आम नागरिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देकर उनसे बायोमेट्रिक और उनके पहचान पत्र की प्रतियां भी प्राप्त की थी।

    इस डाटा को वह वेबसाइट में सेव कर विभिन्न साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराते थे। ईओयू अधिकारियों के अनुसार, यह आधार सुरक्षा में सेंधमारी का जुड़ा मुद्दा है।

    इस कांड के उद्भेदन से आधार प्रणाली में जो कमियां पाई गई हैं, उससे संबंधित विस्तृत रिपोर्ट यूआइडीएआइ को समर्पित किया जाएगा।

    रामप्रवेश ने यूट्यूब से सीखा फर्जी पोर्टल बनाना

    ईओयू के अनुसार, रामप्रवेश ने 2021 में मैट्रिक पास कर साइबर कैफे खोला था, जिसमें वह पैन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और अन्य फार्म भरने का काम करता था। बाद में कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) का आईडी प्राप्त कर अवैध गतिविधियों में लिप्त हो गया।

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    आधार डाटा जमा करने के लिए उसने नकली वेबसाइट भी बनाई थी, इसके लिए उसने यूट्यूब का उपयोग कर फर्जी आधार पोर्टल बनाना सीखा था। सीएससी के संचालन के क्रम में ही वह कई लोगों की बायोमेट्रिक, पहचान पत्र को प्राप्त कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने लगा।

    मालूम हो कि ईओयू ने आधार सिस्टम में सेंधमारी कर फर्जी दस्तावेज बनाने और इसे साइबर अपराधियों को बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में मंगलवार को मधेपुरा से तीन अपराधियों रामप्रवेश कुमार, मिथिलेश कुमार और विकास कुमार को गिरफ्तार किया गया है।