बिहार में एक अप्रैल से शराब बंद, शराबबंदी को लेकर ये हैं प्रमुख तथ्य
गुरुवार को मद्य निषेध दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा एलान किया। अगले साल यानी 2016 की पहली अप्रैल से बिहार में राज्य सरकार शराबबंदी को लागू करेगी। इस बाबत मुख्यमंत्री ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया।
पटना। गुरुवार को मद्य निषेध दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा एलान किया। अगले साल यानी 2016 की पहली अप्रैल से बिहार में राज्य सरकार शराबबंदी को लागू करेगी। इस बाबत मुख्यमंत्री ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया।
शराबबंदी से संबंधित नई नीति भी अगले साल पहली अप्रैल से लागू कर दी जाएगी। नशा के खिलाफ अभियान चलाने वाले और गांव में शराब की बिक्री बंद कराने वाले स्वयं सहायता समूहों को उन्होंने पुरस्कृत करने की घोषणा की।
सचिवालय परिसर स्थित अधिवेशन भवन में निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने मद्य निषेध दिवस समारोह का आयोजन किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ माह पहले राजधानी पटना स्थित एसके मेमोरियल हॉल में स्वयं सहायता समूह के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने उनसे शराब की बिक्री बंद कराने का अनुरोध किया था।
उस वक्त वे अपना संबोधन खत्म कर चुके थे। वह अनुरोध उन्हें मर्मस्पर्शी लगा और वे उठकर दोबारा माइक पर गए और वादा किया कि सत्ता में वापसी होने पर वे शराबबंदी लागू कर देंगे। वह दिल से निकली हुई आवाज थी। जो बात कही है उससे पीछे नहीं हटेंगे। शराब का महिलाओं के जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है, खासकर गरीब परिवारों के बीच।
बिहार की कहानी
- 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पहली बार शराबबंदी लागू करायी थी
- तत्कालीन राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने मार्च 1977 में शराबबंदी की घोषणा की थी
- डेढ़ साल बाद जब रामसुंदर दास की सरकार आयी तो शराबबंदी खत्म हो गयी
- इसके मूल में यह बात रही कि शराब की कालाबाजारी बड़े पैमाने पर होने लगी
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शराब से आय
- 2014 में बिहार सरकार को शराब की बिक्री से 3300 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ, जबकि कुल राजस्व 25,621 करोड़ रुपये था।
- वित्तीय वर्ष 2015-16 में शराब की बिक्री से 4000 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य है, जबकि कुल राजस्व का लक्ष्य 30,785 करोड़ रुपये है।
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कहां-कहां शराबबंदी
1. गुजरात
2. नागालैंड
3 मणिपुर
4.लक्षद्वीप
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पूर्ण शराबबंदी
- पूर्ण शराबबंदी का आशय यह है कि सूबे में न तो किसी तरह की शराब की बिक्री होगी और न ही शराब का निर्माण
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केरल पैटर्न
शराबबंदी का केरल पैटर्न इन दिनों खूब चर्चा में है। केरल सरकार ने चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी लागू की है। इसके तहत प्रति वर्ष 10 प्रतिशत शराब की दुकानों को बंद किया जाता है। उन्हें लाइसेंस नहीं दिया जाता है। 2104 में वहां 418 बार के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया गया। 2015 में 318 बार के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किए जाने का लक्ष्य है।
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शराबबंदी यहां भी थी
- एक समय हरियाणा के मुख्यमंत्री वंशीलाल ने भी वहां शराबबंदी लागू की थी पर बाद में इसे वापस ले लिया गया। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एनटी रामाराव के जमाने में आंध्र में शराबबंदी लागू हुई थी, जिसे उनके बाद मुख्यमंत्री हुए चंद्राबाबू नायडू ने खत्म कर दिया। मिजोरम में 1995 में शराबबंदी लागू हुई थी, जिसे 2007 में संशोधित कर दिया गया।
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