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    अक्षय नवमी: जानें क्यों खाया जाता है इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे खाना

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 14 Nov 2018 06:46 PM (IST)

    अक्षय नवमी के दिन गंगा स्नान, आंवला वृक्ष की पूजा के साथ दान पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस त्योहार की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। जानें क्या है इस पर्व की मान्यताएं।

    अक्षय नवमी: जानें क्यों खाया जाता है इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे खाना

    पटना [जेएनएन]। अक्षय नवमी 17 नवंबर को मनाई जाएगी। श्रद्धालु इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करके मनोकामनाएं मांगेंगे और फल की प्राप्ति करेंगे। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा बताते हैं कि मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग का आरंभ अक्षय नवमी के दिन से ही हुआ था। इस बार अक्षय नवमी पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग है। इस दिन सिद्धि योग, आनंद योग एवं रवि योग आदि का विशेष संयोग बन रहा है।

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    नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में होता है विष्णु का वास

    पुराणों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु स्वयं वास करते हैं। पंडित झा ने कहा कि अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवला के वृक्ष में रहते हैं। पंडित झा ने कहा कि भगवान विष्णु एवं शिव के वास होने के कारण अक्षय नवमी के दिन आंवले वृक्ष के पूजन करने का विशेष महत्व बन जाता है।

    सूर्य होता है मजबूत

    जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर या सूर्य शत्रु राशि में रहता है तो वैसे लोगों को आंवले के पेड़ के नीचे 10 दिन तक भगवान विष्णु को दीपक जलाने से सारे दोष मिटने के साथ दोषों से मुक्ति मिलती है। अक्षय नवमी के दिन गंगा में स्नान, पूजन, तर्पण एवं अन्न तथा वस्त्र दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। आंवला के वृक्ष में मां लक्ष्मी का भी वास होता है। नवमी के दिन व्रत करने से शादीशुदा औरतों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

    आंवले वृक्ष के पूजन का महत्व

    कार्तिक माह भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जात है। माह में सूर्योदय के समय गंगा एवं जलाशय में स्नान करने एवं भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना करने के साथ वृक्ष के नीचे भोजन करने का विशेष फल मिलता है। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए नवमी पूजन का महत्व है। नवमी के दिन आंवले वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर ब्राह्मण को दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पंडित झा ने कहा कि इस दिन आवंले के वृक्ष को दूध चढ़ाना फलदाई माना जाता है।

    नकारात्मक ऊर्जा की होती है समाप्ति

    अक्षय नवमी के दिन ब्राह्मण को गुप्त दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आंवला पेड़ के नीचे 10 दिनों तक भगवान विष्णु की पूजा होती है। वृक्ष को दीपक जलाने के साथ धागे बांधकर वृक्ष की परिक्रमा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। पंडित झा ने कहा कि इन दिन कोई भी नए काम आरंभ करना शुभ माना जाता है। नवमी के दिन आंवला के रस पानी में मिला कर स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।