Bihar Politics: प्रत्याशियों की एकतरफा घोषणा कर फंसे लालू, साथियों से किया वादा तोड़ना पड़ सकता है भारी
विधान परिषद में राजद अधिकतम दो सीटें जीत सकता है। तीसरी के लिए उसे 17 अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा। राजद ने पहले वामदलों को एक सीट देने का वादा किया था किंतु बाद में सभी तीन सीटों पर अपना प्रत्याशी उतार दिया।

अरविंद शर्मा, पटना। विधान परिषद की खाली होने वाली सात सीटों पर चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राजद की तरफ से तीन प्रत्याशियों की एकतरफा घोषणा के कारण वामदल नाराज हैं। उपचुनावों में राजद से उपेक्षित हो चुकी कांग्रेस इस मौके को भुनाने की जुगत में है। हालात इसलिए बन रहे हैं कि राजद अपने दम पर तीन प्रत्याशियों को जिताने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि वामदलों ने अगर साथ दिया तो राजद को सबक सिखाया जा सकता है। विधानसभा में राजद के 76 विधायक हैं। प्रत्येक सीट पर जीत के लिए कम से कम 31 विधायकों की जरूरत होगी। इस हिसाब से राजद अधिकतम दो सीटें जीत सकता है। तीसरी के लिए उसे 17 अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा। राजद ने पहले वामदलों को एक सीट देने का वादा किया था, किंतु बाद में सभी तीन सीटों पर अपना प्रत्याशी उतार दिया। महागठबंधन के घटक दलों से विमर्श करने की जरूरत भी नहीं समझी।
भाकपा माले ने जताया विरोध
राजद के प्रमुख सहयोगी भाकपा माले ने इसे असंगत और अन्यायपूर्ण बताकर विरोध किया। राजद की तरफ से माले को मनाने का प्रयास चल रहा है। उसे 2024 में भरपाई करने का वादा किया जा रहा है, किंतु बात अभी तक बनी नहीं है। कांग्रेस के पास 19 विधायक हैैं। किंतु राजद से दोस्ती टूट चुकी है। ऐसे में उसने वामदलों से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। यह राजद के लिए सबक होगा और उपचुनावों में कांग्रेस की उपेक्षा का बदला भी। हालांकि कांग्रेस के प्रस्ताव पर अभी तक भाकपा माले ने अपना मुंह नहीं खोला है। मगर इतना साफ कर दिया है कि वह राजद के भविष्य के वादे पर भरोसा नहीं करने जा रहा है। राजद अगर सीट देने पर राजी होता है तो उसे इसी चुनाव में चाहिए। वामदलों के 16 विधायक हैैं, जिसमें माले के 12 हैैं। कांग्रेस ने अगर साथ दिया तो राजद के तीसरे प्रत्याशी को आसानी से परास्त किया जा सकता है।
...तो राजद का तीसरा प्रत्याशी का हारना तय
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने राजद की लाइन से अलग होने के लिए वामदलों को प्रोत्साहित किया है। कहा है कि जरूरी नहीं कि प्रत्याशी कांग्रेस का हो। माले का भी हो सकता है। राजद के घोषित तीन प्रत्याशियों में कारी सोहैब, मुन्नी रजक और अशोक पांडेय हैं। कांग्रेस के अरमान पूरे हुए और माले ने अलग रास्ता किया तो राजद का तीसरा प्रत्याशी का हारना तय है।
राजद को राज्यसभा में भी मदद की जरूरत
ऐसी बात नहीं कि मामला सिर्फ विधान परिषद में फंसा हुआ है। राज्यसभा में भी राजद के दो प्रत्याशियों की जीत के लिए सहयोगी दलों की जरूरत होगी। राजद ने मीसा भारती और फैयाज अहमद को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है। प्रत्येक सीट पर जीत के लिए कम से कम 41 वोटों की जरूरत है। इस हिसाब से राजद के पास छह वोट कम हैैं। जीत चाहिए तो माले की मदद चाहिए। वामदलों की जिद को देखते हुए माना जा रहा है कि राजद हथियार डाल सकता है।
इनकी सीटें हो रहीं खाली
विधान परिषद में सात सीटें 22 जुलाई से खाली हो रही हैं। इनमें जदयू की पांच और भाजपा की दो हैं। जदयू सदस्यों में कमर आलम, गुलाम रसूल, रोजिना नाजिश, रणविजय कुमार सिंह और चंदेश्वर प्रसाद हैैं। अर्जुन सहनी भाजपा से हैैं। पूर्व मंत्री मुकेश सहनी भाजपा कोटे से हैैं।
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