एंबुलेंस के अभाव में मां मरी तो बन गए सड़क हादसों के घायलों के 'संकटमोचक', एक साल में 150 लोगों की बचाई जान
Bihar बक्सर के कृष्णा निजी एंबुलेंस से घायलों को अस्पताल लेकर जाते हैं। उनके कार्य की सराहना डीएम और कई अधिकारी कर चुके हैं। अब आलम है कि पटना-बक्सर फोरलेन पर कोई भी सड़क हादसा होता है तो लोग पुलिस से पहले कृष्णा को सूचना देते हैं।

रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर)। पटना-बक्सर फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग 922 पर सड़क हादसे का शिकार होने वालों के लिए बक्सर जिले के प्रतापसागर के कृष्णा शर्मा 'हनुमान' साबित हो रहे हैं। कृष्णा ने एक साल में 150 लोगों की जान बचाई है।
कृष्णा शर्मा के कार्य की सभी सराहना कर रहे हैं। कई बार जिलाधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी प्रताप सागर भी मौके पर पहुंचकर उनकी प्रशंसा कर चुके हैं।
आमतौर पर लोग सड़क हादसे में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने से हिचकते हैं। वे पुलिस के कानूनी पचड़े के डर से हिम्मत नहीं जुटा पाते लेकिन कृष्णा ने 100 से अधिक लोगों को जीवनदान दिया है।
घायलों को निजी एंबुलेंस से ले जाते हैं अस्पताल
कृष्णा शर्मा के देवदूत बनने की पीछे की कहानी बेहद मार्मिक है। पहले वो भी मदद से कतराते थे लेकिन उनके जीवन में दो ऐसी घटना हुई, जिससे उनके मन में सड़क हादसे के घायलों के लिए संवेदन जागी। इसके बाद वे सड़क दुर्घटना की सूचना मिलते ही घायलों को अपने निजी एंबुलेंस से अस्पताल लेकर जाते हैं।
जब धीर-धीरे प्रशासनिक स्तर पर कृष्णा को सहयोग मिलने लगा तो उनका मनोबल बढ़ा। अब पटना-बक्सर फोरलेन पर कहीं भी सड़क दुर्घटना होती है, तो पुलिस प्रशासन से पहले लोग इन्हें सूचना देते हैं।
माता-पिता से मिली समाजसेवा की प्रेरणा
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं। कृष्णा बचपन से ही सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर रुचि लेते रहे हैं। बचपन में वे रामलीला के आयोजन के दौरान पात्र कलाकारों को खिलाने पिलाने के लिए जैसे-तैसे इंतजाम करते। इस कार्य में उनके माता-पिता ने भी खूब सहयोग किया।
कृष्णा आर्थिक तंगी के कारण इंटर के बाद पढ़ नहीं सके। 2009 में एक घटना ने उनके जीवन को लक्ष्य दे दिया। साल 2018 में वे अपने पिता की फर्नीचर दुकान पर बैठे थे। इसी दौरान यूपी के रसड़ा के एक बुजुर्ग सड़क हादसे में घायल हो गए, वे रोड पर तड़प रहे थे।
बुजुर्ग तड़पते रहे लेकिन लोग बेपरवाह आते-जाते रहे। ये बात कृष्णा शर्मा को बर्दाश्त नहीं हुई और वे घायल को लेकर अस्पताल भागे। जब बुजुर्ग राम की जान बची, तब कृष्णा ने चैन की सांस ली। वे घायल के लिए हनुमान साबित हुए। इस घटना के बाद कृष्णा ने घायलों की मदद की ठानी।
एंबुलेंस के अभाव में मां की हुई थी मौत
फिर मां की मौत ने इस युवक को झकझोर दिया। साल 2018 की बात है। जब कृष्णा की मां फुलकुमारी देवी को दिल का दौरा पड़ा था। पटना जाने के लिए चार घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा। इस कारण मां की मौत हो गई।
इसके बाद कृष्णा ने न सिर्फ एंबुलेंस खरीदी, बल्कि सड़क हादसे में शिकार लोगों को नि:शुल्क सेवा करने का संकल्प लिया। उनका दावा है कि वे अब तक 100 से ज्यादा घायलों को बिना एक पैसा लिए एंबुलेंस से पटना और वाराणसी पहुंचा कर जान बचा चुके हैं और इस सहयोग से आत्म संतुष्टि मिलती है।
डुमरांव डीएसपी अफाक अख्तर कहते हैं इस कार्य के लिए युवक बधाई के पात्र हैं और इससे अन्य लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का यह स्पष्ट निर्देश है कि सड़क दुर्घटना में घायलों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वालों को पुलिस पूछताछ नहीं कर सकती हैं और मदद करने वालों को पुरस्कृत करने का भी प्रविधान है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।