Bihar Politics: बिहार में राज्यसभा और एमएलसी चुनाव का यह ट्रेंड जानिए, पार्टियों में इस बार आसमान से नहीं टपके उम्मीदवार
Bihar Politics बिहार में राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में पार्टियों ने पुराने व जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी है। इस बार उम्मीदवार आसमान से नहीं टपके। मीसा भारती को छोड़ दें ताे आरजेडी जेडीयू व बीजेपी ने नए उम्मीदवारों का चयन किया है।

पटना, अरुण अशेष। Bihar Rajya Sabha & MLC Election: राज्यसभा (Bihar Rajya) और विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में जगह देकर अतिथियों के स्वागत की परम्परा का निर्वाह इस बार किसी दल ने नहीं किया। राज्यसभा की पांच और विधान परिषद की सात सीटों के लिए उम्मीदवारों के चयन में सभी दलों में कार्यकर्ताओं को वरीयता मिली। राज्यसभा की एक सीट के उप चुनाव में भी कार्यकर्ता का सम्मान किया गया। दलों की इस पहल का नतीजा यह निकला कि साधारण कार्यकर्ता भी उच्च सदन में पहुंचने लगे। हां, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के दोनों राज्यसभा सदस्य खीरू महतो और अनिल हेगड़े क्रमश: झारखंड और कर्नाटक के हैं। पार्टी के प्रति दोनों की निष्ठा अटूट रही है। इसी का इनाम भी मिला।
आरजेडी ने पुराने कार्यकर्ताओं को दी तरजीह
अतिथियों के स्वागत की परम्परा सभी दलों में रही है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इसमें आगे रहा है। 2020 में अमरेंद्र धारी सिंह और 2018 में अहमद अशफाक करीम को भेज कर पार्टी ने इस परम्परा का निर्वाह किया था। इस बार भी जान-माने वकील कपिल सिब्बल उपकृत होने जा रहे थे। वे राजी नहीं हुए। उनकी जगह डा. फैयाज अहमद को राज्यसभा में भेजे गए। डा. अहमद की समृद्धि को लेकर चर्चा हो रही है। फिर भी सच यह है कि वे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। दो बार विधायक रह चुके हैं। आरजेडी ने विधान परिषद में जिन तीन लोगों को भेजा, उनमें से कोई बाहरी नहीं है। कारी सोहैब और मुन्नी देवी का पार्टी से पुराना जुड़ाव है। अशोक पांडेय पारिवारिक रूप से आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के करीब रहे हैं। उनके पिता शिववचन पांडेय 30 वर्षों से पार्टी से जुड़े हैं।
आरजेडी की राह पर एनडीए के घटक दल भी
आरजेडी की राह पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दल भी हैं। जेडीयू ने राज्यसभा की तरह विधान परिषद में भी कार्यकर्ताओं का ख्याल रखा। अतिथियों को भेजने में जेडीयू को भी परहेज नहीं रहा है, लेकिन इस बार उसने किसी बाहरी का स्वागत नहीं किया। जेडीयू के आफाक अहमद खान और रवींद्र सिंह-दोनों पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। दोनों ने अपनी ओर से सदन में भेजने की मांग भी नहीं की। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विशुद्ध कार्यकर्ता अनिल शर्मा और हरि सहनी को परिषद के लिए उम्मीदवार बनाया है। वे लगातार पार्टी से जुड़े रहे हैं। खास बात यह भी कि राज्यसभा और परिषद में भेजे गए कुल 13 में से मीसा भारती को छोड़ सभी पहली बार उच्च सदन में जा रहे हैं।
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