तीन साल का यह योग गुरु, आसनों को करते देख दांतों तले दबा लेंगे अंगुलियां
बिहार के गोपालगंज में तीन साल का एक योग गुरु रहता है। उसे मुश्किल आसनों को करते देख लोग दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। योग दिवस पर जानिए इस नन्हे योग गुरु के बारे में।
गोपालगंज [जेएनएन]। बिहार योग की भूमि रही है। यहां के गोपालगंज का तीन साल का बालक नजीब कठिन से कठिन आसन सरलता से कर लेता है। घर के लोगों को योग करते देख वह कब योग के आसनों मे सिद्धहस्त हो गया, घरवालों को भी पता नहीं चला। नजीब गोपालगंज के मांझा प्रखंड के आदमापुर गांव निवासी शिक्षक फरीद आलम तथा शिक्षिका कुलसूम फरीद का पुत्र है।
नजीब महज तीन साल की छोटी उम्र में ही पश्चिमोत्तानासन, गरुड़ासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, पर्वतासन, पादहस्तासन, अर्धहलासन आदि आसनों में किसी योग शिक्षक की तरफ ही पारंगत हो गया है। वह प्रतिदिन सुबह अपने घर में एक घंटा ध्यान तथा योग के माध्यम से लोगों को योग करने का संदेश दे रहा है। नजीब के योग के प्रति इस लगाव को देखते हुए इलाके के अन्य बच्चे भी इस आेर तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
नजीब के पिता फरीद आलम बताते हैं कि उनके घर में योग के प्रति रुचि रही है। परिवार के अधिकांश सदस्य योग करते हैं। घर का माहौल देख तीन साल का नजीब भी योग करने लगा। फरीद बताते हैं कि नजीब अभी ठीक से बोल भी नहीं पाता है, लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों तथा टीवी देखकर योग सीख गया है।
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अल्पसंख्यक समुदाय में योग के प्रति असमंजस की स्थिति के बारे में पूछने पर शिक्षक फरीद आलम ने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि योग नहीं करना चाहिए। योग वह आसन है जो सभी को स्वस्थ बनाता है।
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