ये हैं पटना के DM साहेब, जिन्हें राष्ट्रपति ने भी सराहा, जानिए क्यों है खास?
पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल हर पटना वासी की पसंद हैं। उनकी सादगी और सामाजिक कार्यों के लगाव की वजह से लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं। कल उन्ह ...और पढ़ें

पटना [काजल]। जिनके हाथों में है पटना की कमान, सादगी ही है जिनकी पहचान और लोगों की परेशानी देखकर खुद भी परेशान हो जाते हैं और उसे दूर करने के उपाय में लग जाते हैं, एेेसे हैं पटना जिले के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल, जो अपनी सादगी और सामाजिक कार्यों को लेकर चर्चा में रहते हैं।
संजय कुमार अग्रवाल की सबसे बड़ी बात ये है कि वे जिनके बीच जाते हैं वो उनके ही हो जाते हैं। कभी ऑफिस में क्लर्क बनकर काम करना तो कभी किसी गरीब के घर जाकर उसकी मदद करना। और तो और कल उन्होंने बाढ राहत कैंप में जाकर पीड़ितों को अपने हाथ से परोसकर खाना खिलाया और खुद भी साथ बैठकर खाना खाया।
बाढ पीड़ितों को परोसा खाना, खुद भी साथ खाया
बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाए गए राहत शिविर का जायजा लेने पटना के डीएम संजय अग्रवाल पहुंचे थे। सैकड़ों ऐसे लोग थे जिन्हें रेस्क्यू कर आज ही राहत शिविर में लाया गया था। उन लोगों को डीएम खुद ही खाना परोसने लगे, उसके बाद उनके साथ बैठ कर चावल, दाल और सब्जी खाया।
साथी ही डीएम ने खाने की गुणवत्ता को भी जांचा। उन्होंने बताया कि शहर में बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए कई जगहों पर शिविर चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि पटना जिले के कई हिस्सों में बाढ़ का व्यापक असर है। साथ ही दियारा इलाके से विस्थापित लोगों के लिए भी पटना में ठिकाना बनाया गया है।
बाढ पीड़ितों की सहायता के लिए दिए आदेश
डीएम ने खाना खाने के बाद लोगों से बातचीत की और सबकी बातें ध्यान से सुनीं। कुर्जी बिंद टोली के रामपवित्र महतो और उर्मिला देवी कहती हैं कि हम लोग को तो खाना मिल गया, लेकिन जानवर बहुत भूखे हैं। उसकी भी व्यवस्था करिये।
बाद में डीएम ने मीडिया से बातचीत के क्रम में बताया कि पटना शहर में चारे की कमी है, लेकिन पांच किलो प्रति मवेशी हमने जानवरों को देने के लिए कहा है। यह सबको दिया जायेगा। जीविका की दीदियां कैंपों में बच्चों और महिलाओं को शिक्षा देगी।
क्लर्क भी बन जाते हैं जिलाधिकारी
बीते आठ महीने से पटना के ज़िलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ‘बाबूगिरी’ की उलझनों को सुलझाने में लगे है।दरअसल जिलाधिकारी संजय अग्रवाल ने इस साल की शुरुआत में एक प्रयोग किया है। उन्होंने तय किया कि वो ख़ुद भी कभी- कभार बाबू की कुर्सी का काम संभालेंगें। सिर्फ वही नहीं, बल्कि ज़िले के सभी बीडीओ, एसडीओ, डीडीसी और एसडीसी को अपने मातहतों की सीट पर बैठने और काम निपटाने का आदेश है।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए जिलाधिकारी संजय अग्रवाल कहते हैं, “फ़ाइल की ज़िंदगी तो बाबू पर ही निर्भर है. क्लर्क चाहे तो उस फ़ाइल को मार दे या फिर ज़िंदा रखकर उसे अंजाम तक पहुंचाए. बाबू हमारे भारतीय सिस्टम का सबसे पावरफुल आदमी है।”
संजय अग्रवाल भी मानते हैं कि सिस्टम में अगर बाबुओं को ज़्यादा जवाबदेह बना दिया जाए, काम निपटाने के लिए समय सीमा बांध दी जाए और लोगों को इस बात की जानकारी दे दी जाए कि उनका काम किस डेस्क पर होगा, तो आम आदमी की मुश्किलें बहुत आसान हो जाएंगी।
बेहतर कामों के लिए राष्ट्रपति ने दिया पुरस्कार
नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल को सम्मानित किया। 2002 बैच के संजय कुमार अग्रवाल को यह पुरस्कार महिला सशक्तिकरण मॉडल के लिये दिया गया है।
दरअसल पटना के डीएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में गया में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हिंसा रहित शांतिपूर्ण मतदान कराया था। इस चुनाव में डीएम संजय कुमार अग्रवाल ने बिहार में पहली बार ऑल वुमेन पोलिंग स्टेशन की शुरूआत की थी जिसमें मतदान केन्द्र के सभी पदो पर महिलाएं ही कार्यरत थी।

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