KK Pathak: क्या राज्यपाल से नाराज हैं पाठक सर? बैठक में ना खुद गए ना शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी पहुंचा
राज्यपाल ने कुलपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि विगत एक वर्ष से विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं ससमय कराने एवं सत्र नियमित करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं और उनके अच्छे परिणाम भी मिले हैं लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उच्च शिक्षा को बाधित करने की नीयत से इसमें व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था फिर से पुरानी स्थिति में आ जाए।
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सभी विश्वविद्यालयों में ठप वित्तीय कामकाज का कोई हल निकालने के लिए मंगलवार को राजभवन में कुलपतियों की बैठक बुलायी थी। राज्यपाल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को भी आमंत्रित किया गया था।
ताज्जुब यह कि इस महत्वपूर्ण बैठक में भी न केके पाठक गए और न ही शिक्षा विभाग के अन्य कोई अफसर। हालांकि, यह बैठक डेढ़ घंटा से ज्यादा समय तक चली। इस दौरान राज्यपाल ने एक-एक कुलपति से उनके विश्वविद्यालय में ठप वित्तीय कामकाज से उत्पन्न समस्याओं के बारे में जानकारी ली।
राज्यपाल ने कुलपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि विगत एक वर्ष से विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं ससमय कराने एवं सत्र नियमित करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं और उनके अच्छे परिणाम भी मिले हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारीगण उच्च शिक्षा को बाधित करने की नीयत से इसमें व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था फिर से पुरानी स्थिति में आ जाए।
राज्यपाल ने शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा में पैदा किए जा रहे व्यवधान को लेकर तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने बैठक में कुलपतियों के हौसले को बढ़ाते हुए कहा कि बच्चों के भविष्य के हित में मेहनत करते रहें, ससमय परीक्षाएं कराएं और उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए अपना सर्वोत्तम योगदान करें।
उन्होंने यह भी कहा कि राजभवन एवं शिक्षा विभाग के आपसी समन्वय तथा एकसाथ मिलकर प्रयत्न करने से ही बिहार के शैक्षिक वातावरण को बेहतर बनाया जा सकता है।
बैंक खातों पर रोक से परीक्षा संचालन से लेकर कॉपियों का मूल्यांकन भी बाधित
बैठक में राज्यपाल को कुलपतियों ने विश्वविद्यालयों में वित्तीय संकट पर जो जानकारी दी है। उससे पता चलता है कि तीन माह से शिक्षकों व कर्मियों को वेतन-पेंशन भुगतान नहीं होपाया है। इससे उनके परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है।
खासकर जो सेवानिवृत्त शिक्षक व कर्मचारी पेंशन पर आश्रित हैं, उनके समक्ष बीमारी का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं। विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर रोक के चलते आयकर, बिजली बिल, भविष्य निधि, एनपीएस एवं दैनिक कार्यों के लिए खर्च के भुगतान के साथ-साथ परीक्षाओं के संचालन, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन आदि कार्य भी बाधित हैं।
व्यावसायिक पाठ्यक्रम का संचालन पर गहराया संकट
राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम का संचालन पर भी संकट गहरा गया है क्योंकि ऐसे पाठ्यक्रम में सिर्फ विद्यार्थियों के पैसे हैं और उन पैसों की निकासी भी बैंक खातों के संचालन पर रोक लगे होने के कारण नहीं हो पा रही है। एक कुलपति से राज्यपाल महोदय को यहां तक बताया कि वर्तमान परिस्थिति में विश्वविद्यालय की सारी गतिविधियों का संपादन मुश्किल हो रहा है। बिना पैसे के एक भी गतिविधि नहीं करायी जा सकती।
सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग के आदेश
बैठक में कुलपतियों ने शिक्षा विभाग के आदेशों को सवालों के घेरे में रखा। कहा कि शिक्षा विभाग को कुलपतियों के विरूद्ध कार्रवाई करने या उनका वेतन आदि रोकने का कोई अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ कुलाधिपति के पास है। शिक्षा विभाग सिर्फ इसकी अनुशंसा कर सकता है।
बैठक में शिक्षा विभाग का यह प्रोपगंडा भी उठा कि कैसे सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षा विभाग द्वारा यह प्रचारित कराया जा रहा है कि विभाग ही बिहार में उच्च शिक्षा को बेहतर करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन राजभवन एवं कुलपति इसमें बाधक बन रहे हैं।
कुलपतियों ने यह भी जानकारी दी कि विगत एक वर्ष से राजभवन एवं कुलपतियों के प्रयास से परीक्षाएं ससमय आयोजित करायी जा रही हैं और सत्र नियमित किए जा रहे हैं। लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह पसंद नहीं है और वे विचलित होकर इसमें बाधा डाल रहे हैं। बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू, विशेष कार्य पदाधिकारी प्रीतेश देसाई समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
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