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    दिल को भी बीमार कर रही खैनी, दिन में तीन बार खाने वाले को कितना है नुकसान? जानकर चौंक जाएंगे

    By Akshay PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jun 2022 10:03 PM (IST)

    आइजीआइएमएस में हुए रिसर्च में तंबाकू का उपयोग दिल के लिए भी खतरनाक बताया गया है। 1000 मरीजों में 23.5 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते मिले जिनमें लगभग 20.5 प्रतिशत युवा हैं। दिल के लिए सिगरेट से भी ज्यादा तंबाकू का सेवन खतरनाक बताया गया है।

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    खैनी खाने वालों के लिए कई नुकसान सामने आए हैं। सांकेतिक तस्वीर।

    नलिनी रंजन, पटना : अब तक सभी जान रहे हैं कि खैनी खाने से कैंसर होता है। यह 100 प्रतिशत सही है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में हुए रिसर्च में तंबाकू का उपयोग दिल के लिए भी खतरनाक बताया गया है। खैनी खाने वाले हार्ट के मरीजों पर (रेट्रोस्पेक्टिव स्टडी) शोध हुआ है। दिन में तीन बार से अधिक खैनी खाने वालों को इस शोध में शामिल किया गया है। 

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    1000 मरीजों में 23.5 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते मिले, जिनमें लगभग 20.5 प्रतिशत युवा हैं। दिल के लिए सिगरेट से भी ज्यादा तंबाकू का सेवन खतरनाक बताया गया है। शोध के मुख्य अनुसंधानक डा. नीरव कुमार ने बताया कि कैथलैब में उपचार करने पहुंंचे 70 प्रतिशत से अधिक ब्लाकेज वाले मरीजों पर रिसर्च किया गया। इसमें एक हजार मरीजों में 744 पुरुष व 256 महिलाएं शामिल हैं। 544 मरीजों को दिल की बीमारी थी, जबकि 297 को शुगर। इसमें 203 को 70 प्रतिशत से अधिक ब्लाकेज था। एक हजार मरीजों में 328 व्यक्ति तंबाकू का सेवन कर रहे थे। इसमें 213 के दिल में 70 प्रतिशत से अधिक ब्लाकेज था। 

    • - एक हजार मरीजों पर हुआ शोध, 744 पुरुष व 256 महिलाएं शामिल
    • - 544 मरीजों को थी दिल की बीमारी, इसमें 439 पुरुष व 104 महिलाएं
    • - 297 शुगर वाले मरीजों में 203 को था 70 प्रतिशत से अधिक ब्लाकेज

    कैसे हो रहा खतरनाक

    डा. नीरव ने बताया कि खैनी को लोग बनाकर जैसे ही होंठ के नीचे रखते हैं इसमें तुरंत निकोटिन एब्जार्ब होकर ब्लड में चला जाता है। यह खून में थक्का जमने की प्रवृत्ति को बढ़ा देता है। यही ब्लाकेज का कारण बनता है। 

    अंतरराष्ट्रीय जर्नल में हुआ प्रकाशन

    आइजीआइएमएस के कार्डियोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीपी सिंह के निर्देशन में हुए इस शोध को इंटरनेशनल जर्नल आफ फार्मासुटिकल रिसर्च में मार्च, 2022 में प्रकाशित किया गया है। रिसर्च में डा. नीरव के अलावा डा. रवि विष्णु प्रसाद, डा. निशांत त्रिपाठी भी शामिल हैं।