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    Pawan Singh: मोदी-शाह से लेकर तेजस्वी तक... किसी ने नहीं लिया 'पवन' का नाम, क्या सबकुछ सेट था?

    Updated: Sat, 01 Jun 2024 08:01 PM (IST)

    विश्लेषक कहते हैं पक्ष (राजग) व विपक्ष (आइएनडीआइए) के मंझे खिलाड़ियों ने पवन सिंह की अनदेखी जानबूझकर की है ताकि उन्हें या उनके पक्ष के लोगों को जवाब देने का अवसर ही नहीं मिले। वे क्रिकेट के बारहवें खिलाड़ी की तरह बने रह जाएं। इधर पवन की जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ बता रही है कि वे काराकाट में लड़ाई का त्रिकोण बना रहे हैं।

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    मोदी-शाह से लेकर तेजस्वी तक... किसी ने नहीं लिया 'पवन' का नाम, क्या सबकुछ सेट था?

    प्रमोद टैगोर, संझौली (रोहतास)। राजनीति के रंग निराले हैं, प्रचार एक दिमागी खेल की तरह भी है। यह काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही देखने को मिला।

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोजपा (रा) अध्यक्ष चिराग पासवान से लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य तक ने जनसभाएं कीं, परंतु किसी ने संबोधन में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह का नाम तक नहीं लिया, उन पर कोई आक्षेप लगाना तो दूर की बात है।

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    कहीं 12वें खिलाड़ी न बन जाएं पवन?

    विश्लेषक कहते हैं, पक्ष (राजग) व विपक्ष (आइएनडीआइए) के मंझे खिलाड़ियों ने पवन सिंह की अनदेखी जानबूझकर की है, ताकि उन्हें या उनके पक्ष के लोगों को जवाब देने का अवसर ही नहीं मिले। वे क्रिकेट के बारहवें खिलाड़ी की तरह बने रह जाएं।

    इधर, पवन व उनके साथ भोजपुरी फिल्म जगत के बड़े चेहरों की जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ बता रही है कि वे काराकाट में लड़ाई का त्रिकोण बना रहे हैं। इनके सामने राजनीति के पुराने खिलाड़ी राजग से रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा एवं आइएनडीआइए से भाकपा माले के राजाराम हैं।

    प्रधानमंत्री का सबसे तीखा वार

    काराकाट में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर सबसे तीखा वार किया, जिसकी देश भर में चर्चा हुई। कहा था, वोट बैंक की खातिर लालटेन वाली पार्टी कांग्रेस के सामने मुजरा कर रही है। यह भी चेताया था कि चुनाव बाद हेलीकॉप्टर से उतरेंगे तो बिहार के शहजादे का समय अमानत व जमानत में बीतेगा।

    जवाब में इसी जमीन पर तेजस्वी ने कहा था कि यह झारखंड या दिल्ली नहीं है, हम बिहारी हैं, गुजराती से नहीं डरते। जब मेरे पिता लालू नहीं डरे तो बेटा क्या डरेगा। गत दिन इसी क्षेत्र में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय आए और लालू को घोर परिवारवादी कह कर कलिया नाग की संज्ञा दे दी।

    स्पष्ट है, राजनीति की दोनों मुख्य धाराएं अपने-अपने समर्थकों को एकजुट करना चाहती हैं, जिसमें तीसरे का स्थान रह ही न जाए। बिहार की एकमात्र काराकाट सीट ऐसी है, जहां नेताओं की टक्कर में अभिनेता की इंट्री ने लड़ाई को रोचक बना दिया है।

    काराकाट की भौगोलिक संरचना, संस्कृति व बोलियां भी सबसे अलग हट कर हैं। महानद सोन के किनारे मैदानी क्षेत्र की तुलना में हवा ठंडी है।

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