बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कपिलदेव सिंह का निधन, नालंदा जिले के थे रहने वाले, पंचायत चुनाव से शुरू हुआ था कॅरियर
बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कपिलदेव सिंह का निधन हो गया है। उनका पटना के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनकी उम्र तकरीबन 65 वर्ष हो गई थी। उन्होंने अपना कॅरियर पंचायत चुनाव से शुरू किया था।
पटना/नालंदा, जागरण टीम। बिहार के नालंदा जिला से जुड़े राजनेता और विधान परिषद के पूर्व सदस्य कपिलदेव सिंह का निधन हो गया है। वे बीमार चल रहे थे। पटना के अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी उम्र करीब 65 साल हो गई थी। वे नालंदा जिले के पावापुरी प्रखंड अंतर्गत पोखरपुर गांव के रहने वाले थे। उन्होंने नालंदा स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी 2003 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। 17 जुलाई, 2003 को उन्होंने बिहार विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण की और अपना कार्यकाल पूरा किया।
पंचायत चुनावाें के साथ शुरू हुआ राजनीतिक जीवन
वह युवा अवस्था से ही सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। बिहार पंचायती राज अधिनियम 1993 के अस्तित्व में आने के बाद हुए प्रथम पंचायत चुनाव में उन्होंने हिस्सा लिया। पहले ही चुनाव में वह गिरियक प्रखंड से जिला परिषद् के सदस्य के रूप चुन लिये गए। 10 जून 2001 को वह नालंदा जिला परिषद् के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद से विधान परिषद् सदस्य चुने जाने तक वे लगातार इस पद पर बने रहे।
ब्रेन हैमरेज और पक्षाघात का हो गए थे शिकार
उन्हें पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका ब्रेन हैमरेज हो गया था। जिससे वे पक्षाघात के शिकार भी हो गए थे। डॉक्टरों ने ब्रेन सर्जरी करके उनकी स्थिति सुधारने की कोशिश की थी। परन्तु ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई। ऑपरेशन के सोलह दिन बाद उनका निधन हो गया।कपिलदेव प्रसाद सिंह अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। जिनमें पत्नी, तीन बेटे-बहू व पोता-पोती शामिल हैं। कपिलदेव प्रसाद सिंह 80 व 90 के दशक में बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद बेहद करीबी माने जाते थे।
दो माह पहले भतीजे की हुई थी हत्या
दो महीने पूर्व ही कपिलदेव सिंह के भतीजे दिनेश सिंह की बदमाशों ने हत्या कर दी थी। उनके आग्रह पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने घटना में शामिल बदमाशों का जल्द पता लगाने का पुलिस पर दबाव बनाया था। परन्तु अपने जीते जी वे भतीजे के हत्यारों के बारे में नहीं जान सके। याद दिला दें कि सीपीडब्लूडी के ठेकेदार दिनेश सिंह को बदमाशों ने उस वक्त गोली मार दी थी, जब वे पावापुरी में अपने होटल के उद्घाटन की तैयारी पर बातचीत कर रहे थे।
अधूरी रह गई विधानसभा जाने की इच्छा
कपिलदेव सिंह पंचायत प्रतिनिधि कोटे से विधान परिषद के सदस्य बने थे। फिर भी उन्हें विधानसभा जाने की ललक थी। यही वजह थी कि 2010 में उन्होंने लोजपा के टिकट पर अस्थावां विधानसभा से चुनाव लड़ा था। परन्तु चुनाव हार गए थे। कपिलदेव सिंह पेट्रोल पंप के बड़े व्यवसायी थे। नालंदा व नवादा जिला में उनके कुल 7 पेट्रोल पंप हैं।
पोखरपुर को बनवाया आदर्श गांव
पोखरपुर को आदर्श ग्राम का दर्जा दिलवाने में इनका अहम योगदान रहा। यह घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर ने की थी।