कबाड़ मंडी: मोबाइल एप डाउनलोड करिए और बेचिए कचरा; देश में पहली बार सिवान में हुई पहल, क्या है प्रक्रिया?
Bihar News: सिवान, बिहार में पहली बार 'कबाड़ मंडी' पहल शुरू हुई है, जिसके तहत एक मोबाइल एप के माध्यम से कचरा बेचा जा सकता है। इस एप के द्वारा उपयोगकर् ...और पढ़ें

कबाड़ मंडी एप के माध्यम से खरीदा जा रहा कचरा। सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। स्वच्छता और तकनीक के क्षेत्र में बिहार ने एक नई मिसाल कायम की है। सिवान जिले के नौतन प्रखंड स्थित लखवा ग्राम पंचायत देश का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां घरों से निकलने वाले कचरे की खरीद मोबाइल एप के माध्यम की जा रही है।
नीतीश सरकार की लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान (LSBA) के तहत शुरू की गई यह पहल ग्रामीण स्वच्छता, डिजिटल नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रभावी माॅडल बनकर सामने आई है।
बोझ समझा जाने वाला घरेलू कचरा गांवों में आर्थिक मूल्य वाला संसाधन बन चुका है। कबाड़ मंडी नामक मोबाइल एप के माध्यम से ग्रामीण अपने घरों से निकलने वाले कचरे का विवरण दर्ज करते हैं।
एप पर मिली जानकारी के आधार पर असराज स्कैप साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एजेंसी तय समय पर घर पहुंचकर कचरे का वजन करती है और निर्धारित दर के अनुसार उसका भुगतान करती है। इससे कचरे के संग्रहण से लेकर भुगतान तक पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित हो गई है।
कचरे की दर निर्धारित
माॅडल की खास बात यह है कि अलग-अलग प्रकार के कचरे के लिए स्पष्ट दरें तय की गई हैं। इसके तहत प्लास्टिक बोतल 15 रुपये प्रति किलोग्राम, काला प्लास्टिक दो रुपये, सफेद मिक्स प्लास्टिक पांच रुपये, बड़ा गत्ता आठ रुपये, मध्यम गत्ता छह रुपये, छोटा गत्ता चार रुपये, कागज तीन रुपये और टिन 10 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदा जा रहा है।
इस व्यवस्था से ग्रामीणों में घरेलू स्तर पर कचरे का पृथक्करण तेजी से बढ़ा है। लखवा गांव से एकत्रित किया गया कचरा सीधे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (PWMU) और वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट (WPU) तक पहुंचाया जा रहा है।
यहां वैज्ञानिक तरीके से प्रसंस्करण कर सिंगल यूज प्लास्टिक और नूडल्स रैपर जैसे अपशिष्ट से लैपटाॅप बैग, बोतल बैग, कैरी बैग, लेडीज पर्स, डायरी और चाबी रिंग जैसे उपयोगी और टिकाऊ उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत राज्य में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर व्यापक स्तर पर कार्य हुआ है।
वर्तमान में 171 प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित की जा चुकी हैं। इन इकाइयों के माध्यम से हजारों टन सिंगल यूज प्लास्टिक का वैज्ञानिक निस्तारण किया जा रहा है, जिससे गांवों की स्वच्छता के साथ पर्यावरण सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है।
हर कचरे की कीमत तय, पूरी प्रक्रिया पारदर्शी
- प्लास्टिक बोतल: 15 रुपये प्रति किलोग्राम
- काला प्लास्टिक: 2 रुपये प्रति किलोग्राम
- सफेद मिक्स प्लास्टिक: 5 रुपये प्रति किलोग्राम
- बड़ा गत्ता: 8 रुपये प्रति किलोग्राम
- मध्यम गत्ता: 6 रुपये प्रति किलोग्राम
- छोटा गत्ता: 4 रुपये प्रति किलोग्राम
- कागज: 3 रुपये प्रति किलोग्राम
- टीन: 10 रुपये प्रति किलोग्राम
बन रहे उपयोगी उत्पाद
- लैपटाॅप बैग
- बाॅटल बैग
- कैरी बैग
- लेडीज पर्स
- डायरी
- चाबी रिंग
- आलमारी
- बेंच
ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत घरेलू स्तर पर कचरे का पृथक्करण, उसका उठाव, परिवहन और प्रोसेसिंग की समेकित व्यवस्था विकसित की गई है। इससे न केवल स्वच्छता को नया आयाम मिला है, बल्कि बिहार में तैयार हो रहे कचरा-आधारित उत्पाद अब दूसरे राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं।
श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास एवं परिवहन मंत्री

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