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    PMCH में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल: ओपीडी–इमरजेंसी ठप, 2 हजार से ज्यादा मरीज वापस लौटे

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 10:42 AM (IST)

    पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) में एक मरीज की मृत्यु के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी, जिससे ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बाधित हो गईं। दो हजार स ...और पढ़ें

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    पटना मेडिकल कॉलेज

    जागरण संवाददाता, पटना। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) बुधवार को अफरातफरी और तनाव का केंद्र बन गया। जूनियर डॉक्टरों और मरीज के परिजनों के बीच मारपीट के बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए, जिससे अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी दोनों सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।

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    इसका सीधा असर इलाज कराने आए हजारों मरीजों पर पड़ा। अनुमान है कि 2,000 से अधिक मरीज बगैर इलाज लौट गए, जबकि इमरजेंसी में करीब 100 नए मरीजों का भर्ती होना रुक गया।

    विवाद की शुरुआत सुबह उस वक्त हुई जब 70 वर्षीय सुरेश सिंह की मौत की जानकारी परिजनों को दी गई। परिजन अचानक भड़क उठे और मेडिसिन इमरजेंसी में डॉक्टरों से बहस शुरू हो गई, जो बाद में मारपीट में बदल गई।

    आरोप है कि परिजनों ने ड्यूटी पर मौजूद महिला डॉक्टर सहित कई जूनियर डॉक्टरों के साथ धक्का–मुक्की और हाथापाई की।

    वहीं मृतक के बेटे अमन सिंह ने इसका उल्टा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिता की मौत के बाद उनकी बहन ने डॉक्टर से रिक्वेस्ट की कि 'एक बार फिर से देख लें, शरीर अभी गर्म है।' इसी बात पर डॉक्टर नाराज़ हो गए और कथित तौर पर उनकी बहन को हाथ पर मारा।

    अमन का दावा है कि घटना का वीडियो उसके मोबाइल में मौजूद है। उनका आरोप है कि विवाद बढ़ने के बाद डॉक्टरों ने हेलमेट, लाठी–डंडे और स्टिक से परिजनों पर हमला किया।

    मामले के सामने आते ही दोनों पक्षों ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस जांच में जुट गई है।

    इधर, जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि लगातार सुरक्षा की कमी के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इस घटना के बाद जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) ने तत्काल हड़ताल की घोषणा कर दी। एसोसिएशन ने अपनी तीन प्रमुख मांगें रखी हैं

    1. PMCH के सभी विभागों में तत्काल प्रभाव से मजबूत सुरक्षा व्यवस्था।
    2. डॉक्टरों पर हिंसा की किसी भी घटना पर बिना देरी स्वतः संस्थागत FIR।
    3. अस्पतालों में हिंसा रोकने हेतु कड़े कानूनी प्रावधानों का कठोर पालन।

    हड़ताल के चलते अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। कई मरीज निजी क्लीनिकों और अन्य अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हुए।

    अस्पताल प्रशासन स्थिति सामान्य कराने की कोशिश में जुटा है, लेकिन जब तक बातचीत सफल नहीं होती, हड़ताल जारी रहने की संभावना है।

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