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    Jitan Ram Manjhi: चिराग पासवान से सहमत नहीं जीतन राम मांझी, आरक्षण के मुद्दे पर NDA में अलग सुर ने बढ़ाई चिंता

    Updated: Mon, 05 Aug 2024 05:38 PM (IST)

    बिहार में आरक्षण के मुद्दे पर एनडीए में एकमत होता नहीं दिख रहा है। प्रदेश की दो बड़ी पार्टियों के प्रमुख नेताओं के बयान इसी ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण को लेकर दिए गए ताजा फैसले पर चिराग पासवान ने नाराजगी जाहिर की है। वहीं दूसरी ओर जीतन राम मांझी ने स्वागत करते हुए कई सारी बातों पर चिराग को घेरा है।

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    हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, पटना। Jitan Ram Manjhi: बिहार में गया से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने छुआछूत के सवाल को लेकर सोमवार को कहा कि स्वार्थी लोग वैसा कर रहे हैं।

    भुइयां, डोम जैसी जातियों का नाम गिनाते हुए पूर्व सीएम मांझी ने सवाल किया कि इनमें कितने आईएएस हैं, कितने चीफ इंजीनियर हैं? 

    बता दें कि आरक्षण के मुद्दे पर जीतन राम मांझी और इससे पहले सामने आए चिराग पासवान के बयान से प्रदेश में एनडीए की चिंता बढ़ सकती है।

    76 वर्ष तक लेते रहे हक : HAM प्रमुख मांझी

    जो चार जातियां आज क्षोभ व्यक्त कर रही हैं, क्या सब उनका है। क्या इसका मतलब ये हुआ कि शेड्यूल कास्ट का हक वो ही लेते रहें? 76 वर्ष तक तो हक लेते रहे हैं।

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    दरअसल, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले (SC/ST Reservation Issue) पर नाराजगी जताने वाले लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के बयान के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

    बता दें कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा है कि लोजपा (रामविलास) सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है।

    ये फैसला 10 साल पहले आना चाहिए था

    दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) से सवाल किया गया था कि चिराग पासवान एससी/एसटी कैटेगरी में हो रहे वर्गीकरण को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

    इस पर गया सांसद जीतन राम मांझी ने कहा कि ये कहां की बात है कि जो आदमी आगे बढ़ गया, वो बढ़कर ही रहेगा। जो आदमी पीछे रह गया है, उसके बारे में सोचा ही नहीं जाएगा।

    इसलिए हम हर हालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। ये जो फैसला आया है, ये 10 साल पहले आना चाहिए था।

    मांझी ने साक्षरता दर के आंकड़े भी गिनाए

    आज स्थिति है कि बाबा साहब आंबेडकर के अनुसार, साक्षरता एक मानदंड है, सबसे नीचे होने का। एससी की साक्षरता दर 30 प्रतिशत है और इसमें भी भुइयां, डोम जैसी जातियों की साक्षरता दर 15 फीसदी से नीचे है।

    ऐसे में जिसकी 30 प्रतिशत या ऊपर साक्षरता दर है, उसको सुविधा मिलनी चाहिए, मैं नहीं कहता हूं। परंतु जिसकी साक्षरता दर 7 से 8 फीसदी है, उसको तो सुविधा मिलनी ही चाहिए। जो समाज में नीचे गिरा हुआ है, उसको बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए।

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