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    Rajiv Ranjan Died: जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का हार्ट अटैक से निधन, दिल्ली में ली आखिरी सांस

    Updated: Thu, 25 Jul 2024 09:56 PM (IST)

    जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन का हृदयाघात से निधन हो गया है। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली है। वह इस्लामपुर से विधायक भी रह चुके हैं। इसके अलावा राजीव रंजन झारखंड और छतीसगढ़ विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राजीव रंजन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते थे। वे पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद के दामाद थे।

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    जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Politics In Hindi जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता राजीव रंजन का गुरुवार की देर शाम नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल में आकस्मिक निधन हो गया।

    उनके पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देर शाम उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बता दें कि स्वर्गीय रंजन वर्ष 2010 में इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे।

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    बाद में, 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। भारतीय जनता पार्टी में उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बनाया गया था। काफी दिनों तक भारतीय जनता पार्टी में रहने के बाद वर्ष 2023 में वह फिर जदयू में शामिल हो गए।

    इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता बना दिया। स्वर्गीय रंजन ने साल 1995 में समता पार्टी के टिकट पर इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार कृष्णबल्लभ प्रसाद यादव से पराजित हो गए।

    2010 में जदयू के टिकट पर बने थे विधायक  

    इसके बाद उन्होंने राजनीति से किनारा कर दूसरे क्षेत्र में प्रवेश किया और काफी दिनों तक झारखंड और छत्तीसगढ़ विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर रहे। इसके बाद नीतीश कुमार के आग्रह पर पुनः राजनीति में चले आए और 2010 में विधायक निर्वाचित हुए।

    स्वर्गीय रंजन के पिता रामशरण प्रसाद सिंह जाने-माने कांग्रेसी नेता थे। वे प्रदेश अध्यक्ष सहित कई मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी संभाले थे।

    इसके अलावा, राजीव रंजन जी के ससुर सिद्धेश्वर प्रसाद भी केंद्रीय मंत्री और त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवा दे चुके थे। उनके निधन से नालंदा जिला के राजनीतिक गलियारे में शोक का लहर व्याप्त हो गया है।

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