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    राजद को काफी पीछे छोड़ आगे बढ़ गया जदयू, राष्‍ट्रीय दल की दावेदारी के लिए अब है इसकी जरूरत

    By Vyas ChandraEdited By:
    Updated: Sat, 12 Mar 2022 08:46 AM (IST)

    बिहार के अलावा अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में सशक्‍त उपस्थिति दर्ज करा जदयू ने राष्‍ट्रीय दल की दावेदारी में राष्‍ट्रीय जनता दल को काफी पीछे छोड़ दिया है। 2010 तक राजद की राष्‍ट्रीय दल के रूप में पहचान थी।

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    सीएम नीतीश कुमार की पार्टी ने राजद को छोड़ दिया पीछे। फाइल फोटो

    अरविंद शर्मा, पटना। Bihar Politics: बिहार में सक्रिय क्षेत्रीय दलों के बीच राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त करने की होड़ में राजद की तुलना में जदयू आगे निकल चुका है। राजद को 2010 तक राष्ट्रीय दल की पहचान थी। तब बिहार के बाहर झारखंड, मणिपुर और नगालैंड में भी उसका दबदबा था, लेकिन उसके बाद हनक धीरे-धीरे कमतर होती गई। लालू प्रसाद ने दोस्ती और रिश्तेदारी निभाने के चक्कर में पड़ोसी राज्य बंगाल और यूपी की चुनावी राजनीति से किनारा कर लिया। अब तेजस्वी यादव के इशारे को समझते हुए राजद ने राष्ट्रीय दर्जा के लिए व्यग्रता दिखाई है, लेकिन इस प्रयास में जदयू से काफी पिछड़ चुका है।

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    जदयू की दूसरे राजयों में भी हुई उपस्थिति 

    जदयू की बिहार से बाहर अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में दमदार उपस्थिति हो चुकी है। राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार के मुताबिक मणिपुर में भाजपा और कांग्रेस के बाद जदयू तीसरा बड़ा दल बन गया है। एक अन्य राज्य में छह प्रतिशत वोट की दरकार है। ऐसा होते ही चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक जदयू को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाएगा। मणिपुर में जदयू को 10.77 प्रतिशत वोट मिला है। अरुणाचल प्रदेश में 2019 में 9.88 प्रतिशत वोट मिला था। इसी तरह बिहार विधानसभा चुनाव में उसे 15.39 प्रतिशत वोट मिल चुका है। अगले एक वर्ष में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड में चुनाव होने हैं। अभय कुमार कहते हैं कि जदयू का फोकस छोटे राज्यों पर है, जहां छह प्रतिशत वोट मिलना मुश्किल नहीं है। लोकसभा चुनाव में जदयू को बिहार में 21.81 प्रतिशत वोट मिले थे और 16 सांसदों के साथ वह भाजपा के बाद प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट लाने वाले राजद को लोकसभा चुनाव में महज 15.36 प्रतिशत ही वोट मिल सके थे। 

    मणिपुर के मैदान से बाहर हुआ राजद

    राजद ने झारखंड में 2005 में सात सीटें और मणिपुर में 2007 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी, किंतु इसे बरकरार नहीं रख पाया। 2012 के अगले ही चुनाव में मणिपुर में शून्य पर आ गया। राजद ने इस बार वहां चुनाव लड़ने की जरूरत भी नहीं समझी। अभय कुमार के मुताबिक जदयू की कामयाबी इस मायने में भी उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय दर्जे की दौड़ में शामिल कई दल मणिपुर के मैदान में थे, जिनमें शरद पवार की एनसीपी आठ, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और आठवले की रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया नौ-नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, मगर किसी का खाता तक नहीं खुला। ऐसे में जदयू के लिए संभावनाएं बढ़ जाती हैं।