JDU अपना रही नया फंडा, Nitish Kumar की 'लोकल' पर नजर; आधी आबादी निभा रही अहम भूमिका
Bihar Lok Sabha Election 2024 बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने लोगों तक पहुंचने के लिए नया फंडा अपनाया है। पार्टी लोकल पर नजर बनाए हुए है। इसके लिए उसे आधी आबादी से आस है। जदयू के महिला प्रकोष्ठ से जुड़ी महिलाओं की तीन टीमें गांव-गांव जा रही हैं। इसके माध्यम से जनता का मूड भांपने की कोशिश की जा रही है।
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। जदयू ने पार्टी के महिला प्रकोष्ठ से जुड़ी महिलाओं की तीन टीम बनाकर उन्हें गांव-गांव भेज चुनाव के बारे में फीडबैक लेना और फिर वोट के लिए प्रेरित करने का आरंभ किया है। जिन महिलाओं के नेतृत्व में गांव-गांव यह टीम पहुंच रही है, उनमें एक-दो को छोड़ कोई भी जदयू के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं है।
वहां पहुंच रहीं, जहां तुरंत होने वाला है चुनाव
जदयू महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष भारती मेहता बताती हैं। तीन टीमों के अतिरिक्त एक टीम ऐसी है, जो विशेष रूप से अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं के बीच जाकर बात कर रही हैं।
श्वेता विश्वास, मधु और अफरोजा खातून के नेतृत्व में यह टीम लगातार घूम रही है। सिस्टम यह है कि टीम उन क्षेत्रों में घूमती है, जहां अगले दस दिन के भीतर मतदान होना है।
इस तरह से काम कर रहा यह सिस्टम
पटना से निकलने के बाद महिलाओं की टीम जब किसी जिले में पहुंचती है, तो सबसे पहले वह संबंधित जिले के जिलाध्यक्ष व लोकसभा प्रभारी से मिलती है। उनके परामर्श से यह तय होता है कि महिलाओं की टीम को किस इलाके में जाना है। संबंधित इलाके में पार्टी से जुड़ी कुछ महिलाओं को भी साथ ले लिया जाता है।
घर-घर जाकर महिलाओं से मिलने के साथ छोटी-छोटी सभाएं भी
जदयू की महिला टीम घर-घर जाकर महिलाओं से बात करती है। उनसे नीतीश कुमार की सरकार में महिलाओं के लिए शुरू की गई योजनाओं पर विशेष रूप से बात होती है।
जीविका दीदियों को बुलाकर सौ-पचास की संख्या के साथ छोटी-छोटी सभाएं भी हो जाती हैं। यह चर्चा होती है कि नीतीश कुमार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किस तरह से काम किए हैं।
सभी वर्ग की महिलाओं को इसका कितना लाभ मिला है। अगर बुजुर्ग महिलाएं पहुंचती हैं तो वृद्धजन पेंशन के बारे मे भी उनसे बात की जाती है। नौकरियों में महिलाओं के आरक्षण पर भी महिला टीम चर्चा करती है।
अगर अल्पसंख्यक महिलाओं का जुटान अधिक है तो उनके बीच हुनर और परित्यक्ता महिलाओं की आर्थिक सहायता के लिए जो योजनाएं नीतीश कुमार के शासन काल में शुरू हुईं, उन पर बातें होती हैं।
अब भी साइकिल योजना पर महिलाएं कर रहीं बात
जदयू महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष भारती मेहता कहती हैं घर-घर घूमने के क्रम में यह अनुभव हुआ है कि महिलाएं इस बात को लेकर पूरी तरह से जागरूक हैं कि हाल के दशक में उनके लिए क्या काम हुआ है।
एक महिला ने साइकिल योजना की चर्चा करते हुए कहा कि उसकी बेटी को साइकिल मिली थी। अब वह टीचर हो गई है। प्रसव कराने का काम करने वाली महिलाओं को ममता और आशा कार्यकर्ता बनाया गया। इससे जुड़े फीडबैक भी मिल रहे।
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