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    'हमारे वोटर NDA के साथ चले गए क्योंकि...', बिहार चुनाव में बड़ी हार पर पीके की पार्टी का बयान

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 11:42 PM (IST)

    बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को करारी हार मिली। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आज मीडिया से बात कर हार के कारणों का जिक्र किया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने सीमांचल क्षेत्र में ध्रुवीकरण और सरकार पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप भी लगाया। 

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    पीके की पार्टी ने दिया बयान। (जागरण)

    एजेंसी, पटना। बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। बिहार चुनाव में बड़ी हार के बाद पार्टी ने दावा किया कि उसके मतदाताओं का एक वर्ग राजद के शासन में जंगल राज की वापसी के डर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ चला गया।

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    चुनाव परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद मीडिया से बातचीत के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने यह भी दावा किया कि 11 नवंबर को मतदान से एक दिन पहले, दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट के बाद सीमांचल क्षेत्र में ध्रुवीकरण हुआ।

    लोगों को राजद से थी समस्या

    जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वोटरों में राजद के शासन में जंगल राज की वापसी का डर था। हालांकि, मैं यह नहीं कह रहा कि कोई जंगल राज था, लेकिन डर तो था। कई लोग, जो हमें मौका देते, उसी डर से एनडीए को वोट दे बैठे। उन्होंने आगे कहा कि लोगों को राजद से समस्या थी, कांग्रेस या विपक्षी महागठबंधन के अन्य घटकों से नहीं।

    उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली विस्फोट में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई। मैं उस समय सीमांचल क्षेत्र में था और इस घटना से वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे मुस्लिम भाइयों ने हम पर पर्याप्त भरोसा नहीं जताया। यह इस तथ्य के बावजूद था कि हम उनसे संपर्क कर रहे थे। लेकिन हमें विश्वास है कि वे लंबे समय में हमारा समर्थन करेंगे।

    उन्होंने कहा कि पार्टी ने बेरोजगारी, पलायन और राज्य में उद्योगों की कमी जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाकर, विशेष रूप से उच्च जाति के युवाओं का ध्यान आकर्षित किया।

    एनडीए का करते रहेंगे विरोध

    हालांकि, किशोर और उनकी टीम के जोरदार अभियान के बावजूद, यह पर्याप्त वोटों में तब्दील नहीं हुआ और पार्टी का वोट शेयर मात्र चार प्रतिशत रहा।

    जन सुराज नेता ने यह भी कहा कि हम विधानसभा चुनाव के नतीजों से निराश हैं, लेकिन परेशान नहीं हैं। हमें एक भी सीट नहीं मिली है, फिर भी हम सत्तारूढ़ एनडीए का विरोध करते रहेंगे।

    उन्होंने दावा किया कि जून से लेकर चुनावों की घोषणा तक, नीतीश कुमार सरकार ने जनता के पैसे से लोगों के वोट खरीदने के लिए 40,000 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विश्व बैंक से 14,000 करोड़ रुपये के ऋण के माध्यम से जुटाई गई धनराशि को भी खैरात और मुफ्तखोरी में लगा दिया गया।

    आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप

    मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का जिक्र करते हुए राज्य की महिलाओं के बैंक खातों में 10,000-10,000 रुपये भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पहली बार हुआ होगा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद, मतदान से एक दिन पहले तक लोगों को पैसे मिलते रहे। यह उन महिलाओं को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त था जो शायद गुजारा करने के लिए मजबूर थीं।

    उन्होंने कहा कि जन सुराज अब यह देखने का इंतजार कर रहा है कि सरकार राज्य की महिलाओं के खातों में अपने वादे के अनुसार शेष 2 लाख रुपये कैसे पहुंचाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या जेडी(यू) के 25 से ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी प्रशांत किशोर राजनीति में सक्रिय रहेंगे, सिंह ने कहा कि आपको यह सवाल किशोर से ही पूछना चाहिए।

    दरअसल, प्रशांत किशोर ने पहले दावा किया था कि अगर नीतीश कुमार की जेडी(यू) 25 से ज्यादा सीटें जीतती है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। पार्टी ने विधानसभा चुनावों में 85 सीटें जीती थीं।

    वोट चोरी के सवालों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए वोट चोरी के आरोप को भी हल्के में लिया। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि एसआईआर के दौरान हटाए गए नाम ज्यादातर उन लोगों के थे जो मर चुके थे या अन्य स्थानों पर चले गए थे। अगर कुछ विसंगतियां थीं भी, तो वे इतने बड़े पैमाने पर नहीं थीं कि कोई खास फर्क डाल सकें।

    समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ।