सजा के साथ सुधार की राह, बिहार की काराओं में योग-ध्यान से संवरेगा बंदियों का जीवन
बिहार की काराओं में अब योग और ध्यान के माध्यम से बंदियों के जीवन को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य बंदियों को सजा के साथ-साथ उनके जीव ...और पढ़ें

कारा सुधार की दिशा में एक अहम और दूरगामी पहल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार सरकार ने कारा सुधार की दिशा में एक अहम और दूरगामी पहल की है। राज्य की सभी काराओं में निरुद्ध बंदियों के शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास को मजबूत करने के उद्देश्य से कारा एवं सुधार सेवाएँ निरीक्षणालय ने प्रसिद्ध संस्था आर्ट ऑफ लिविंग, बंगलुरू के साथ पाँच वर्षों के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत राज्य की समस्त काराओं में बंदियों को नियमित रूप से योग एवं ध्यान का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस संबंध में 23 दिसंबर 2025 को कारा निरीक्षणालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। मौके पर अपर सचिव-सह-निदेशक प्रशासन संजीव जमुआर की उपस्थिति में दोनों पक्षों के अधिकृत पदाधिकारियों ने एमओयू को औपचारिक रूप दिया। यह पहल काराओं को केवल दंड का स्थान नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
कार्यक्रम में कारा उपमहानिरीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर, बंदी कल्याण पदाधिकारी बिनोद कुमार प्रभास्कर, अवर सचिव बिनोद कुमार प्रभाकर, प्रोबेशन पदाधिकारी ज्योत्स्ना सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। वहीं आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से इंचार्ज मीरा सिंह, फैकल्टी जयंत भोले एवं दिलीप कुमार शुक्ला ने कार्यक्रम में सहभागिता की और प्रशिक्षण की रूपरेखा की जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि योग एवं ध्यान प्रशिक्षण के माध्यम से बंदियों में सकारात्मक सोच, आत्मसंयम और मानसिक शांति का विकास होगा। इससे तनाव, आक्रोश और नकारात्मक प्रवृत्तियों में कमी आएगी, जो अक्सर अपराध की पुनरावृत्ति का कारण बनती हैं। नियमित अभ्यास से बंदियों की शारीरिक सेहत भी बेहतर होगी और वे अनुशासित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
कारा प्रशासन का मानना है कि यह पहल बंदियों के समग्र सुधार और समाज में पुनर्वास की प्रक्रिया को सशक्त बनाएगी। योग और ध्यान के जरिए उन्हें आत्मचिंतन का अवसर मिलेगा, जिससे वे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें। यह कार्यक्रम न केवल काराओं के वातावरण को शांतिपूर्ण बनाएगा, बल्कि बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में भी सहायक सिद्ध होगा।
कुल मिलाकर, बिहार की काराओं में योग-ध्यान प्रशिक्षण की यह शुरुआत दंड के साथ सुधार की अवधारणा को मजबूत करती है और एक मानवीय एवं प्रगतिशील कारा व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।

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