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    छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ थे जयशंकर प्रसाद और निराला

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2020 07:42 PM (IST)

    महाकवि जयशकर प्रसाद युग-प्रवर्तक साहित्यकार थे।

    छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ थे जयशंकर प्रसाद और निराला

    पटना। महाकवि जयशकर प्रसाद युग-प्रवर्तक साहित्यकार थे। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक लेखन के क्षेत्र में हिदी साहित्य को गौरवान्वित किया। उनका महाकाव्य 'कामायनी' अनमोल कृति है। यह नूतन संसार के नव-सृजन का महाकाव्य है। हिदी के उत्थान में कुछ ऐसी ही भूमिका पंडित सूर्यकात त्रिपाठी निराला की रही। ये दोनों ही हिंदी काव्य-साहित्य में छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ थे।

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    ये बातें बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में महाकवि महाप्राण पं सूर्यकात त्रिपाठी निराला और महाकवि जयशकर प्रसाद की जयंती पर आयोजित समारोह और वासंती काव्योत्सव के दौरान साहित्यकारों ने कहीं। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि, निराला जी अत्यंत स्वाभिमानी और वितरागी महाकवि थे। छंद के महान ज्ञाता होकर भी, आवश्यक समझा तो छंद की पारंपरिक मर्यादा को तोड़ा भी और एक नए छंद का सृजन किया, जिसे 'मुक्त-छंद' कहा जाता है। वे लोग भ्रम में रहते हैं जो 'छंद-मुक्त' और 'मुक्त छंद' को एक अर्थ में लेते हैं।

    अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के साहित्य मंत्री डॉ. भूपेंद्र कलसी ने कहा कि, निराला जी का संपूर्ण जीवन संघर्ष और तप करते व्यतीत हुआ। इसीलिए उनकी रचनाओं में वेदना है, संघर्ष भी है और अदम्य शक्ति भी। संघषरें ने उन्हें वितरागी भी बना दिया था। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डॉ. मधु वर्मा, डॉ. कैलाश प्रसाद सिंह 'स्वच्छंद' ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

    कविताओं से किया वसंत का स्वागत

    इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। डॉ. शकर प्रसाद ने अपनी रचना को सस्वर पढ़ते हुए कहा कि 'सलमा सितारों से सजी मेरी रात है/ तारों की पालकी में रुकी मेरी आस है..', व्यंग्य के कवि ओम प्रकाश पांडेय 'प्रकाश' ने 'हमको तो गद्दारों का अंत सूझता है, तुमको मगर केवल वसंत सूझता है.. सुनाई। कवयित्री डॉ. सुमेधा पाठक ने वसंत का स्वागत इन पंक्तियों से किया कि 'आया वसंत हषरेंल्लास लिए, खिला यौवन पारिजात कुसुम, रोम-रोम है पुलकित पुलकित, भ्रमरों के मीठे गुंजन से..', आराधना प्रसाद ने वाणी से प्रार्थना की कि 'सुर नवल नव तान भर दो, प्रज्ञा, प्राण औ ध्यान भर दो, मन तमस मालिनय हर लो, जन-मन दोष निवारिणी..' सुनाकर तालियां बटोरीं।

    इन कवियों ने भी सुनाई कविताएं

    कवि राज कुमार प्रेमी, कुमार अनुपम, डॉ. सीमा यादव, अभिलाषा कुमारी, डॉ. शालिनी पांडेय, श्रीकात व्यास, मनोरमा तिवारी, डॉ. विनय कुमार विष्णुपुरी, अनुपमा नाथ, सुनील कुमार दूबे, जय प्रकाश पुजारी, डॉ. आर प्रवेश, डॉ. कुंदन कुमार, अश्मजा प्रियदर्शिनी, प्रियंका प्रिया, प्रभात वर्मा, चितरंजन भारती, विनय चंद, अर्जुन प्रसाद सिंह, डॉ. उमाशकर सिंह तथा राज किशोर झा ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन के अर्थमंत्री योगेंद्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया।