जगदानंद सिंह की जिद और लालू प्रसाद यादव का पुराना नाता, इस बार नई करवट बैठ सकता है राजद का ऊंट
Bihar News बिहार के बड़े राजनीतिक दल राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की जिद की कहानी पुरानी है। उनकी जिद के सामने लालू प्रसाद यादव कई बार झुकते रहे हैं। लेकिन इस बार मसला थोड़ा जुदा लग रहा है।
अरुण अशेष, पटना। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के व्यक्तित्व का अहम पहलू है-जिद। आप जगदानंद कह रहे हैं तो उन्हें समझने वाले लोगों के मस्तिष्क में अपने आप एक जिद्दी व्यक्ति की छवि बन जाती है। एक बार किसी चीज के बारे में अपनी राय बना ले तो फिर उससे डिगाना किसी के लिए मुश्किल हैं।
जिद के कारण नहीं गए कार्यकारिणी की बैठक में
जगदानंद सिंह के लिए वह मामला मंत्री की कुर्सी छोड़ने का हो सकता है। पुत्र को चुनाव में पराजित करने का हो सकता है। यह संकल्प भी हो सकता है कि राजद को छोड़ किसी अन्य दल में नहीं जाएंगे। अभी उनकी चर्चा भी जिद के कारण हो रही है। जिद यह कि राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नहीं जाएंगे।
पुत्र का त्याग पत्र लेकर खुद गए थे जगदानंद
खबर है कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की है। राजनीतिक गलियारे में जगदानंद की जिद के कई किस्से मशहूर हैं। ताजा यह कि उन्होंने जिद करके अपने पुत्र सुधाकर सिंह को नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दिलवा दिया। पुत्र का त्याग पत्र लेकर वह स्वयं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास गए थे।
तेज प्रताप के मसले पर भी पकड़ी थी जिद
एक जिद उनकी यह भी थी कि लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव की कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ तो वे राजद के प्रदेश कार्यालय में नहीं जाएंगे। यह पिछले साल की घटना है। लालू प्रसाद के समझाने पर तेज प्रताप ने अपनी कार्यशैली में सुधार किया। उसके बाद ही जगदानंद के कदम राजद कार्यालय में पड़े।
अपने पुत्र सुधाकर सिंह का किया विरोध
बात 2009 की है। जगदानंद बक्सर से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उनकी विधानसभा सीट रामगढ़ रिक्त हो गई थी। वहां उप चुनाव हुआ। पुत्र सुधाकर भी राजद टिकट के दावेदार थे। जगदानंद ने अपने राजनीतिक करीबी अंबिका सिंह यादव को राजद का उम्मीदवार बनवा दिया। सुधाकर भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे।
बाप-बेटे के बीच कई साल बंद रहा बोलचाल
पूरे चुनाव में जगदानंद रामगढ़ से बाहर नहीं निकले। परिणाम आया। सुधाकर की हार और अंबिका सिंह यादव की जीत हो चुकी थी। पिता-पुत्र के बीच कई वर्षोंं तक बोलचाल बंद रहा। सुधाकर पहली बार 2020 में राजद टिकट पर विधायक बने।
घोषणा पर अमल कर त्याग पत्र दिया
1992 में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था। जगदानंद सिंह जल संसाधन मंत्री थे। उन्होंने घोषणा की कि राज्य में विभाग का कोई तटबंध टूटा तो वह अपने पद से त्याग पत्र दे देंगे। दो-तीन बाद ही विपक्षी कांग्रेस ने हंगामा किया कि कोसी पर बना एक तटबंध टूट गया है। जांच की घोषणा हुई। विधानसभा की जांच समिति बनी। समिति की जांच रिपोर्ट आने से पहले उन्होंने मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया।
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तब भी जगदानंद की जिद से नाराज थे लालू
तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बाद में उनका त्याग पत्र नामंजूर कर दिया। कहते हैं कि उस समय लालू प्रसाद इनकी जिद से नाराज हुए थे। जगदानंद के त्याग पत्र का क्या हुआ? लालू प्रसाद मीडिया के इस सवाल का मुस्कुरा कर जवाब देते थे-मेरे तकिया के नीचे पड़ा हुआ है।
पहली बार 1985 में विधायक बने थे जगदानंद
जगदानंद पहली बार लोकदल के टिकट पर रामगढ़ से विधायक बने। 1990 से 2005 तक जल संसाधन विभाग के मंत्री रहे। 2009 में राजद टिकट पर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2014 में लोकसभा का चुनाव हार गए। 2019 में भी उनकी हार हुई। वह 2020 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़े। जल संसाधन विभाग के मंत्री के नाते उनके अनुशासन की सराहना हुई और आलोचना भी। आलोचना यह कि उनकी जिद पूर्वाग्रह से प्रेरित होती है, जिस पर अमल करते समय उनका व्यवहार तानाशाहों जैसा हो जाता है।