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    10 या उससे अधिक श्रमिक रखने वाले दुकानों-प्रतिष्ठानों को श्रम विभाग से पंजीयन कराना अनिवार्य

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 05:36 PM (IST)

    श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बिहार दुकान और प्रतिष्ठान (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) विधेयक पेश किया। इसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी होगा। श्रमिकों के कल्याण के ये नए प्रविधान इसी विधेयक में किए गए हैं।

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    10 या उससे अधिक श्रमिक रखने वाले दुकानों-प्रतिष्ठानों को श्रम विभाग से पंजीयन कराना अनिवार्य

    राज्य ब्यूरो, पटना। अब राज्य में 10 या उससे अधिक श्रमिक रखने वाले दुकानों-प्रतिष्ठानों को श्रम विभाग से पंजीयन कराना होगा।यह अनिवार्य है। उन्हें अपने श्रमिकों को वेतन एवं ओवरटाइम की राशि का भुगतान बैंक या डाकघर के खाते में करना होगा। श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बिहार दुकान और प्रतिष्ठान (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) विधेयक पेश किया। इसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।

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    शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी होगा। श्रमिकों के कल्याण के ये नए प्रविधान इसी विधेयक में किए गए हैं। पंजीकृत प्रतिष्ठानों में काम करने वाले श्रमिकों का श्रम विभाग की ओर से पहचान के लिए एक संख्या दिया जाएगा। मजदूरी के भुगतान की समय सीमा तय कर दी गई है। किसी भी स्थिति में यह एक महीना से अधिक नहीं होगा। महीने के अंतिम कार्यदिवस के सात दिनों के भीतर मजदूरी का भुगतान करना होगा।

    यह नियोजकों की जवाबदेही होगी कि नौकरी पर रखने के 30 दिनों के भीतर बैंक या डाकघर में खाता खुलवा दें। हरेक कर्मचारी को सेवा कार्ड देना अनिवार्य कर दिया गया है। महिलाओं की कार्यावधि सुबह छह बजे से रात के नौ बजे के बीच ही होगी। सुरक्षा और घर तक पहुंचाने की वाहन सुविधा देने पर महिला कर्मचारियों की कार्यवधि में बदलाव भी किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए श्रम विभाग के सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

    श्रम संसाधन मंत्री ने बताया कि विधेयक में प्रविधान किया गया है कि कोई श्रमिक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम नहीं करेगा। अगर वह इससे अधिक काम करता है तो अतिरिक्त घंटे पर उसे दोगुनी मजदूरी मिलेगी। साप्ताहिक विश्राम के दिन काम करने पर भी यही नियम लागू रहेगा। छह महीने तक नियमित काम करने वाले श्रमिकों को एक माह का नोटिस या एक महीने की मजदूरी देकर ही काम से हटाया जाएगा।

    हालांकि कदाचार के आरोप में हटाए गए श्रमिकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। उन्होंने बताया कि हरेक श्रमिक को साप्ताहिक अवकाश के अलावा साल में सात दिन बीमारी की छुट्टी भी मिलेगी। इसके लिए डाक्टरी प्रमाण देना होगा। इसके अलावा आठ आकस्मिक अवकाश और 20 दिन काम करने के एवज में एक दिन का अर्जित अवकाश का भी प्रविधान किया गया है। अधिकतम 45 दिनों के अर्जित अवकाश संचित रखने का प्रविधान किया गया है। इसके अलावा एक कैलेंडर वर्ष में आठ सवैतनिक उत्सव अवकाश मिलेगा। उल्लंघन करने वाले नियोजकों पर 10 से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।