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ये हैं बिहार के पहले क्रिकेटर, अब करेंगे देश का नेतृत्व

बिहार में क्रिकेट का हाल-बेहाल जरूर है, इसके बावजूद दर्जनों क्रिकेटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने राज्य का गौरव बढ़ाया है। इसी कड़ी में पटना के इशान किशन का नाम जुड़ गया, जिन्हें बांग्लादेश में होने वाले अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम की कमान सौंपी गई है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2015 08:24 AM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2015 09:43 PM (IST)
ये हैं बिहार के पहले क्रिकेटर, अब करेंगे देश का नेतृत्व

पटना [अरुण सिंह]। सालों से बिहार में क्रिकेट का हाल-बेहाल जरूर है, लेकिन इसके बावजूद यहां से सबा करीम, अमिकर दयाल, आशीष कुमार, राजीव कुमार राजा जैसे दर्जनों क्रिकेटरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश व राज्य का गौरव जरूर बढ़ाया है।

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इसी कड़ी में मंगलवार को पटना के इशान किशन का नाम जुड़ गया, जिन्हें बांग्लादेश में होने वाले अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम की कमान सौंपी गई है।

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बिहार का पहला क्रिकेटर

इशान की इस उपलब्धि पर उसके परिजन फूले नहीं समा रहे हैं, तो गृह जिला नवादा में खुशी का माहौल है। ऐसा हो भी क्यों न, वह यह मुकाम हासिल करने वाला बिहार का पहला क्रिकेटर जो ठहरा।

उसके अभिभावकों को बिहारी होने का गर्व है, और वे चाहते हैं कि राज्य में जल्द क्रिकेट शुरू हो, लेकिन उनका बेटा इशान आगे भी झारखंड की ओर से ही खेलेगा। क्योंकि झारखंड ने मुश्किल घड़ी में उसका साथ दिया है।

7 साल में थामा बल्ला

महज सात साल की उम्र में क्रिकेट की ओर मुखातिब हुए इशान को पिता का समर्थन मिला तो बड़े भाई ने छोटे के लिए असमय ही अपने कॅरियर को विराम दे दिया। पटना में राजेन्द्र नगर स्थित इशान के निवास स्थान पर उसके अभिभावकों को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था।

पिता प्रणव पांडेय बताते हैं कि 2004 में किशन ने मोइनुल हक स्टेडियम के बाहरी परिसर में बीसीए एकेडमी ज्वाइन किया, जहां बंगाल के उत्तम मजुमदार ने उसे क्रिकेट के गुर सिखाए।

मां चाहती थी पढ़ाई करे

2008 में मजुमदार के बंगाल लौट जाने के बाद उसने राजेन्द्र नगर के शाखा मैदान में कैंप करना शुरू किया। उस समय उसके बड़े भाई राज किशन भी राज्य स्तरीय क्रिकेट खेलता था।

पिता की इच्छा इशान को क्रिकेटर बनाने की थी, तो मां सुचित्रा सिंह चाहती थी कि दोनों ही क्रिकेट छोड़ पढ़ाई में ध्यान लगाए। पढ़ाई में कमजोर इशान को इसके लिए मां ने कई बार डांटा भी। ऐसे में राज किशन ने छोटे भाई के कॅरियर को आगे बढ़ाने के लिए स्वयं अपने बल्ले को खुंटी पर टांगने का फैसला किया।

बरेली में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे राज को अपने उस फैसले पर आज गर्व है। राज के अनुसार, इशान में सीखने की ललक बचपन से ही थी। हालांकि श्रीलंका में उसका फॉर्म जरूर खराब रहा, लेकिन आने वाले विजय हजारे ट्रॉफी में वह एक बार फिर अपने बल्ले का जौहर जरूर दिखाएगा।

रणजी में मचा रहा धमाल

इशान किशन पिछले दो सत्र से झारखंड की ओर से रणजी में अपनी बल्लेबाजी से खूब सुर्खियां बटोर रहा है। 2013-14 में उसने 41 की औसत से 452 रन बनाए। 2015 में सौराष्ट्र के खिलाफ 85 और जम्मू-कश्मीर के खिलाफ 109 रन की धमाकेदार पारी खेल चयनकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित किया।

बोले प्रशिक्षक

इशान शुरू से ही तेज गेंदबाजों से नहीं डरता था। वह अपने से ज्यादा आयु वर्ग के क्रिकेटरों के साथ स्तरीय क्रिकेट खेलना पसंद करता था। 12 साल की उम्र में बिहटा में शहीद स्मृति क्रिकेट टूर्नामेंट में उसके द्वारा खेली गई 95 रन की पारी देखकर मुझे लग गया था कि वह एक दिन अपने राज्य का नाम रोशन जरूर करेगा।

-संतोष कुमार, इशान के शुरुआती दिनों के कोच


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