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    तीन हजार करोड़ की लागत से दक्षिण बिहार में होगी सिंचाई व्यवस्था

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Thu, 08 Feb 2018 08:28 PM (IST)

    बिहार के 29 लाख हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था के लिए नाबार्ड की सहायता से अगले पांच वर्षों के दौरान तीन हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ...और पढ़ें

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    तीन हजार करोड़ की लागत से दक्षिण बिहार में होगी सिंचाई व्यवस्था

    पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के 29 लाख हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था के लिए नाबार्ड की सहायता से अगले पांच वर्षों के दौरान तीन हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। नई और पुरानी मिलाकर कुल 449 योजनाओं पर काम किया जाना है। प्रत्येक वर्ष चार सौ करोड़ रुपये के हिसाब से (कुल 24 सौ करोड़) नाबार्ड से मदद ली जाएगी। शेष रकम का प्रबंध राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर करेंगी।

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    कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने परियोजनाओं की सफलता के लिए गुरुवार को नाबार्ड के पदाधिकारियों के साथ कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से विमर्श किया। बैठक के बाद कृषि मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि ऋण के लिए जल्द ही नाबार्ड को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

    कृषि मंत्री ने कहा कि दक्षिण बिहार के सभी 17 जिलों के संपूर्ण क्षेत्र को सिंचित करने की तैयारी है। विभाग के आकलन के मुताबिक नई 326 जल छाजन परियोजनाओं के लिए 2487 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, जबकि पुरानी 123 योजनाओं पर 550 करोड़ की लागत आनी है। प्रत्येक परियोजना का क्षेत्र करीब पांच हजार हेक्टेयर होगा। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के अलावा भी मदद की दरकार होगी। ऐसे में जल्द ही नाबार्ड को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

    मंत्री ने बताया कि अभी प्रदेश के 14 जिलों में केंद्र के सहयोग से 123 जल छाजन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इन सभी को पांच से सात वर्षों में पूरा किया जाना है। नई योजनाओं को भी जल्दी पूरा करने की कोशिश है। जल छाजन योजनाओं के जरिए अकाल की स्थिति में सिंचाई व्यवस्था को बरकरार रखने में मदद मिलेगी। राज्य के पठारी एवं वर्षा आधारित इलाकों में सिंचाई प्रणाली, उत्पादन एवं उत्पादकता को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है। चारे के प्रबंध के जरिए पशुओं का संरक्षण भी किया जा सकता है।

    कृषि मंत्री ने कहा कि जल छाजन योजनाओं के जरिए भू-जल को काफी हद तक बचाया जा सकता है। कम अवधि वाली फसलों की हिफाजत करके रोजगार के अवसर बढ़ाने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने में भी मदद मिलेगी। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त सुनील कुमार सिंह, कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार, विशेष सचिव रवींद्रनाथ राय, निदेशक हिमांशु राय, अरविंदर सिंह, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, निदेशक भूमि संरक्षण गुलाब यादव समेत कई अधिकारी शामिल थे।