IRCTC घोटाला केस में CBI को लग गए आठ साल, ऐसे सामने आया था मामला
आईआरसीटीसी घोटाले में सीबीआई को आरोप तय करने में आठ साल लग गए। मामला रेलवे होटलों के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। कानूनी प्रक्रियाओं और याचिकाओं के कारण आरोप तय करने में देरी हुई। अब सुनवाई शुरू होगी, जिसका बिहार की राजनीति पर प्रभाव पड़ेगा।

राज्य ब्यूरो, पटना। इंडियन रेलव कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) के रांची और पुरी में स्थित दो होटलों के आवंटन के मामले में कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के साथ ही उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए हैं। इस मामले में अब आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी।
मामले को यहां तक लाते-लाते केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को करीब आठ वर्ष लग गए। सीबीआइ ने 17 जुलाई 2017 को लालू यादव समेत पांच आरोपितों के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी की थी। इसके बाद सुजाता होटल्स से जुड़े कारोबारी विजय व विनय कोचर समेत कई आरोपितों के 12 ठिकानों पर छापे मारे गए।
सीबीआइ ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाए कि कोचर बंधुओं को होटलों की लीज दिलाने के बदले लालू यादव के परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन मिली। ये जमीन पहले सरला गुप्ता की कंपनी को दी गई, जिसे बाद में लालू की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव की कंपनी ने अधिग्रहित कर लिया। इसी जमीन पर बिहार का सबसे बड़ा माल बन रहा था।
क्या है आरोप?
लालू प्रसाद पर आरोप हैं कि उन्होंने रेल मंत्री के पद पर रहते हुए रांची और पुरी स्थित आाइआरसीटीसी के दो होटलों के टेंडर में हस्तक्षेप कर इन्हें कोचर बंधुओं को सौंप दिया। होटल आवंटन के बदले में परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन सौदे किए गए थे। सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोप तय किए और कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार, साजिश और धोखा जैसे अपराधों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। अदालत ने कहा है कि ठेका प्रक्रिया में अनियमितताएं हुईं और लाभार्थी कंपनी को टेंडर जीतने में मदद की गई।
सियासी सरगर्मी तेज
चुनाव के पहले आए कोर्ट के इस निर्णय के बाद इसका राजनीतिक आकलन भी शुरू हो गया है। लालू प्रसाद के समर्थक मानते हैं कि केंद्र में बैठी सरकार साजिश के तहत लालू परिवार पर दबाव बनाने के प्रयास हो रहे हैं। कुछ चर्चाएं चुनाव को लेकर भी हो रही हैं।
चर्चाओं के मुख्य बिंदु यह हैं क्या चुनाव लडऩे पर कोई रोक होगी या फिर कोर्ट के फैसले से चुनाव कितना प्रभावित होगा। असल में यहां स्पष्ट करना आवश्यक है कि फिलहाल कोर्ट ने आरोप तय किए हैं इसलिए तेजस्वी यादव के चुनाव लडऩे पर कोई संकट नहीं।
रही चुनाव पर प्रभाव की बात तो राजद का अपना वोट बैंक है जो हर परिस्थिति में राजद कुनबे के साथ खड़ा होता है। इस मामले में लालू प्रसाद और तेजस्वी सिंपैथी हासिल करने में कोई चूक नहीं करेंगे। बहरहाल कोर्ट का फैसला राजद नेताओं के खिलाफ आया है जिसके बाद राजनीतिक चर्चा होना बेहद आम बात है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।